scriptफिटनेस ने बढ़ाया मेडिकल डिवाइस का क्रेज, रीडिंग पर भरोसा संभलकर | Medical devices crazes in youth after covid-19 | Patrika News

फिटनेस ने बढ़ाया मेडिकल डिवाइस का क्रेज, रीडिंग पर भरोसा संभलकर

locationजोधपुरPublished: Nov 29, 2020 07:22:10 pm

– पल्स ऑक्सीमीटर, डिजिटल थर्मामीटर, स्मार्ट वॉच, रिस्ट बैंड का बढ़ा चलन- हेल्थ मॉनिटर एप से डाटा चोरी होने का अंदेशा, 70 फीसदी हैकिंग स्वास्थ्य संबंधी एप से

फिटनेस ने बढ़ाया मेडिकल डिवाइस का क्रेज, रीडिंग पर भरोसा संभलकर

फिटनेस ने बढ़ाया मेडिकल डिवाइस का क्रेज, रीडिंग पर भरोसा संभलकर

जोधपुर. कोविड-19 काल के बाद युवाओं में स्मार्ट मेडिकल डिवाइस का चलन बढ़ा है। मोबाइल में स्वास्थ्य संबंधी एप के माध्यम से युवा स्वास्थ्य मानकों की स्वयं ही जांच कर रहे हैं। स्मार्ट वॉच व रिस्ट बैंड से बीपी, ईसीजी, ग्लूकोज लेवल मापा जा रहा है लेकिन इन डिवाइस की रीडिंग एक्यूरेसी को लेकर संशय बना रहता है, विशेषकर स्मार्टफोन में आ रहे हेल्थ एप को लेकर।
पल्स ऑक्सीमीटर की सहायता से शरीर में आक्सीजन की सांद्र्रता मापी जाती है। यह हाथों की अंगुलियों में क्लिप की तरह पहनी जाती है। अगर 94 से ऊपर है तो आप स्वस्थ है। डिजिटल बीपी मॉनिटर बाहं में पहना जाता है, जिससे 24 घण्टे की रीडिंग मिल जाती है। इससे डॉक्टरों को भी परामर्श देने में सहायता मिलती है। हाल ही में स्मार्टवॉच के साथ बीपी, शुगर, ईसीजी, प्लस रेट जैसे पैरामीटर भी आ रहे हैं लेकिन इनकी रीडिंग में बार-बार बदलाव होने से इनकी एक्यूरेसी को लेकर डॉक्टर्स आश्वस्त नहीं रहते हैं।
अधिकांश डिवाइस चाइनीज, संभलकर
बाजार में मिलने वाले अधिकांश डिवाइस चाइनीज है जो सस्ते होते हैं। ये डिवाइस एक समय बाद रीडिंग में गड़बड़ी दिखाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में डिवाइस खरीद के समय सावधानी बरतने की जरुरत है।
मोबाइल का हेल्थ एप चुरा सकता है डाटा
युवाओं में स्वास्थ्य जागरुकता बढऩे के साथ वर्तमान में कई सॉफ्टवेयर कम्पनियों ने हेल्थ से संबंधित एप भी विकसित किए हैं जो स्मार्टफोन में कार्य करते हैं। अधिकांश हेल्थ एप मोबाइल में कैमरा, वीडियो, एसएमएस, गैलेरी की एक्सेस मांते हैं जिनसे डाटा चोरी होने का खतरा रहता है। वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2 हजार से अधिक हेल्थ एप बाजार में है लेकिन इसमें से आधे से अधिक एप से उपभोक्ताओं की निजता व सुरक्षा को खतरा था। हेकर्स ने भी 70 फीसदी से अधिक ऐसी एप को हैक किया था जो हेल्थ से संबंधित थी। हेल्थ एप में सुरक्षा कारणों का ध्यान कम रखा जाता है।
………………………………………………
‘बाजार में कुछ मेडिकल डिवाइस आए हैं लेकिन कम्पनियां इनकी एक्यूरेसी को लेकर खुद भी कोई दावा नहीं करती है।’
-सुनील टी. दास, उपाध्यक्ष, जोधपुर केमिस्ट एसोसिएशन

‘विदेशों में इन मेडिकल डिवाइस व एप को लेकर ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन हमारे यहां ऐसा कुछ नहीं है। गलत रीडिंग के कारण यूजर्स टेंशन में भी आ जाते हैं।’
– प्रिया सांखला, सॉफ्टवेयर इंजीनियर
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो