बाजार में मिलने वाले अधिकांश डिवाइस चाइनीज है जो सस्ते होते हैं। ये डिवाइस एक समय बाद रीडिंग में गड़बड़ी दिखाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में डिवाइस खरीद के समय सावधानी बरतने की जरुरत है।
युवाओं में स्वास्थ्य जागरुकता बढऩे के साथ वर्तमान में कई सॉफ्टवेयर कम्पनियों ने हेल्थ से संबंधित एप भी विकसित किए हैं जो स्मार्टफोन में कार्य करते हैं। अधिकांश हेल्थ एप मोबाइल में कैमरा, वीडियो, एसएमएस, गैलेरी की एक्सेस मांते हैं जिनसे डाटा चोरी होने का खतरा रहता है। वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2 हजार से अधिक हेल्थ एप बाजार में है लेकिन इसमें से आधे से अधिक एप से उपभोक्ताओं की निजता व सुरक्षा को खतरा था। हेकर्स ने भी 70 फीसदी से अधिक ऐसी एप को हैक किया था जो हेल्थ से संबंधित थी। हेल्थ एप में सुरक्षा कारणों का ध्यान कम रखा जाता है।
………………………………………………
-सुनील टी. दास, उपाध्यक्ष, जोधपुर केमिस्ट एसोसिएशन ‘विदेशों में इन मेडिकल डिवाइस व एप को लेकर ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन हमारे यहां ऐसा कुछ नहीं है। गलत रीडिंग के कारण यूजर्स टेंशन में भी आ जाते हैं।’
– प्रिया सांखला, सॉफ्टवेयर इंजीनियर