वर्तमान में केवल जोधपुर स्टेशन पर मिग-27 की दो स्क्वाड्रन हैं। यहां मिग-27 का अपग्रेड जेट है, जिसमें 36 एयरक्राफ्ट हैं। मिग-27 बहादुर को हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड ने डिजिटलाइज्ड करके अपगे्रड किया था। जोधपुर में मिग-27 के अलावा सुखोई-30 एमकेआई की एक स्क्वाड्रन है। वर्तमान में देश में मिग-21, मिग-27 और मिग-29 की कुल 9 स्क्वाड्रन मौजूद हैं, जिन्हें धीरे-धीरे 2024 तक रिटायर कर दिया जाएगा। एक समय भारत के एयरफोर्स बेड़े में कुल मिग श्रेणी के 1200 विमान थे।
कारगिल में दुश्मनों का सफाया किया तत्कालीन सोवियत यूनियन ने मिग विमान बनाए थे। भारत ने 1966 में पहला मिग-21 विमान खरीदा। मिग-27 विमान 1975 में आए। इन विमानों ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं 13 जून 2016 को जोधपुर में ही कुड़ी भगतासनी क्षेत्र में मिग-27 क्रैश हो गया था, जिसमें दो घर क्षतिग्रस्त हुए और तीन लोगों को चोटें आई थीं। रूस ने भारत के अलावा श्रीलंका और कजाकिस्तान को मिग-27 बेचे थे।
42 की जगह 31 स्क्वाड्रन
देश में वायुसेना की 42 स्वीकृत स्क्वाड्रन हैं। इनमें से वर्तमान में केवल 31 स्क्वाड्रन ही बची हैं। इनमें सुखोई-30 की 10 स्क्वाड्रन, ब्रिटिश जगुआर की 6 स्क्वाड्रन, फ्रंास के मिराज-2000 की दो स्क्वाड्रन और मिग-29 की तीन स्क्वाड्रन शामिल हैं। भारत में वर्तमान में फ्रांस से राफेल विमान की दो स्क्वाड्रन खरीद रहा है। पहला विमान पिछले साल सितम्बर में अंबाला में आ गया था। वहीं 2022 तक सभी 36 विमान आ जाएंगे। तीसरी स्क्वाड्रन खरीदने पर वह जोधपुर में तैनात की जाएगी।
देश में वायुसेना की 42 स्वीकृत स्क्वाड्रन हैं। इनमें से वर्तमान में केवल 31 स्क्वाड्रन ही बची हैं। इनमें सुखोई-30 की 10 स्क्वाड्रन, ब्रिटिश जगुआर की 6 स्क्वाड्रन, फ्रंास के मिराज-2000 की दो स्क्वाड्रन और मिग-29 की तीन स्क्वाड्रन शामिल हैं। भारत में वर्तमान में फ्रांस से राफेल विमान की दो स्क्वाड्रन खरीद रहा है। पहला विमान पिछले साल सितम्बर में अंबाला में आ गया था। वहीं 2022 तक सभी 36 विमान आ जाएंगे। तीसरी स्क्वाड्रन खरीदने पर वह जोधपुर में तैनात की जाएगी।