शादियों का सीजन आने के साथ ही केटरिंग सेट की डिमांड देखी जा रही है। इसमें मिट्टी के चूल्हे के साथ डोंगा विशेष आकर्षण का केंद्र है। मिट्टी की क्रॉकरी भी पसंद की जा रही है। वाजिब कीमतों में मिट्टी के यह बर्तन गिफ्ट आइटम के तौर पर भी दिए जा रहे हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक कप बंद होने के चलते अब मिट्टी के कूल्हड़ों की वैराइटीज चाय की थडिय़ों सहित रेस्त्रां आदि में मांग बढ़ गई है। इनमें से कई कूल्हड़ सिंगल यूज हैं तो कइयों को बहुत बार उपयोग में लाया जा सकता है। मिट्टी के यह बर्तन शहर सहित गुजरात, दिल्ली, हरियाणा व कलकत्ता आदि से मंगवाए जा रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि प्लास्टिक का उपयोग करना जहां हानिकारक है। वहीं मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने के लिए धीमी आंच पर खाना पकाना अधिक लाभदायक रहता है। इससे विभिन्न शारीरिक विकारों को दूर भी किया जा सकता है। बचे हुए खाने को मिट्टी के पात्रों में रखने से वह जल्दी खराब नहीं होते। मिट्टी के बर्तनों को धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है। साबुन में कास्टिक होने के कारण वह दुर्गंध उत्पन्न कर देता है। इसके स्थान पर साफ पानी से बर्तन धोने के बाद उसे सूती कपड़े से पौंछ कर रखने से बर्तन साफ रहता है।
बीते कुछ समय से मिट्टी के बर्तनों की डिमांड खासी बढ़ गई है। इस कारण शहर के कुम्हारों सहित बाहर से भी विशेष डिजाइन के बर्तन मंगवाए जा रहे हैं। आधुनिक लाइफ स्टाइल में मिट्टी के बर्तन वापस चलन में आना एक अच्छा संकेत है।
– मनीष प्रजापत, व्यवसायी