राज्य सरकार ने हाल ही इसे जिला अस्पताल के रूप में क्रमोन्नत करने की घोषणा की है, लेकिन दोपहर बाद यहां इलाज करने वाले कोई नहीं होता। क्षेत्र के लोगों ने हाल ही संभागीय आयुक्त को दिए ज्ञापन में बताया कि मार्च के बाद तो अब यहां मरीजों की संख्या भी कम हो गई है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ ही नहीं क्षेत्र के रहने वाले लोगों का कहना है कि अस्पताल में आज तक कोई प्रसव भी नहीं हो पाया। कारण कि यहां ी रोग विशेषज्ञ ही नियुक्त नहीं है। आंखों व ईएनटी के चिकित्सक हैं तो उनके पास पर्याप्त उपकरण नहीं है। सोनोग्राफी मशीन नहीं है तो लैबोरेट्री में सीबीसी जैसी मशीन नहीं होने से खून की पूरी जांच तक नहीं हो पाती। अस्पताल के एक मात्र दवा वितरण केंद्र पर भी एक ही फार्मासिस्ट होने के कारण कतारें लगी रहती है।
डेढ़ लाख लोगों को मिल सकता है फायदा क्षेत्रवासी अधिवक्ता मनमोहन छंगाणी का कहना है कि अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं पर थोड़ा सा ध्यान दे दिया जाए तो आस-पास के करीब 12 से 15 वार्डों की करीब डेढ़ लाख आबादी लाभान्वित हो सकती है। साथ ही शहर के तीन बड़े अस्पतालों से भी मरीजों का दबाव कम हो सकता हैं। क्षेत्र के पूनमसिंह राजपुरोहित व चंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि बड़ी आबादी वाले इलाके के इस अस्पताल में कम से कम 24 घंटे प्राथमिक उपचार जैसी सुविधाएं मिलनी ही चाहिए।
इनका कहना हैं… हमारे यहां कुल 9 डॉक्टर्स कार्यरत हैं। इनमें से 4 डॉक्टर कोविड सैंपलिंग, होम क्वॉरंटाइन, वैक्सीनेशन व बीएलओ के साथ कार्य कर रहे हैं। शेष चार का स्टाफ आउटडोर संभाल रहा है। एक डॉक्टर डेंटिस्ट है। अब कोरोना के केस कम हुए है तो चिकित्सकों की इवनिंग व नाइट ड्यूटी भी लगाई जाएगी। कोविड के कारण थोड़ी सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
– डॉ. दिनेश व्यास, प्रभारी, स्वामी प्रभुतानंद राजकीय सैटेलाइट अस्पताल, प्रतापनगर