scriptआ कैड़ी आखातीज – नव जीवण री उडीक… | Opinions expressed on the occasion of the Akhateej | Patrika News

आ कैड़ी आखातीज – नव जीवण री उडीक…

locationजोधपुरPublished: May 16, 2021 07:54:02 pm

आखातीज के अवसर पर प्रकट किये विचार

आ कैड़ी आखातीज - नव जीवण री उडीक...

आ कैड़ी आखातीज – नव जीवण री उडीक…

गजेसिंह राजपुरोहित/जोधपुर. आखातीज मतलब माणस रौ सौभाग। सृस्टि रै सिरजण रौ दिन। सतजुग अर त्रेताजुग रै सरुआत रौ दिन। श्रीनारायण रै नर रूप में अवतरण रौ दिन। धरमजुद्ध महाभारत रै खतम होवण रौ दिन। परम पुण्य, सुख, सफलता अर अकूत आणंद रौ दि। खीच-गळवाणी जीमण अर टाबरां रै आंधळ -घोटो रमण रौ दिन। अबूझ सावौ, नर – नारी रै परणीजण रौ दिन। अरथात-मानखां रै नव जीवण रौ दिन। पण आज आ कैड़ी आखातीज?
सरब सिद्ध जोग री धणियाणी रै घरै ई च्यारूंमेर पसरग्यौ रोग। आज सकल मानव जाति वैश्विक महामारी कोरोना रै कारण जीवण अर मरण सूं जूझ रैयी। विणास री आ गत देख र आपां सगळा दुखी मन सूं हर खिण आ इज सोच रेया के मानखां नै बचावण सारू परमात्मा नूंवौ रूप कद धारण करैला? इण अदीठ कोरोना महामारी सूं जुद्ध करता थकां अजै मां रा किता लाडला लाडैसर आपरै प्राणां री आहुति देवैला? किती बैन- बेटियां अर मां वां अकाळ आपरा प्रांण गमावैला? इणरो कोई अंदाजौ लगाय सकै है कांई? आज देस अर दुनिया री जकी हालत है उण सूं पाप अर पुण्य री परम्परा रा सैं सैनांण मिटता दीसै।
सफलता अर आणंद फगत सपनां में निजर आवै। खीच-गळवाणी गळा सूं नीचे ई नीं उतरै। स्हैर, गांव-गळी सैं ठौड़ सुन्याड़ पसरगी, टाबर किंया रमै आंधळ-घोटो। कठै है नव जीवण? …..फगत मौत रौ अबूझ सावौ। साचाणी, इण महामारी मांय मानखै री दुरगत देख र आज कुदरत ई कांपण लागगी। आपरै मतलब सारू आपां रोजीना अलेखूं रूंख काट र बापड़ा भाखरां अर वनां नै मोडामट्ट कर दीना। आधुनिकता अर विकास री आंधी दौड़ में मोटा मोटा कळ खारखाना आपरी चिमनियां सूं रोजीना अणमाप विख उगळै पण चार आनां कमावण रै चक्कर में मानखां रै जीवण री चिंता कोई नीं करै।
पण विचारण री बात आं है के- इणरौ जिम्मेदार कुण? कैयौ जावै के हाथां करिया कामड़ा नै किणनै देवै दोस? सो आपां सगळा ई दोसी हां। आज रै समै जद मानखौ आपरी मरजाद भूलग्यौ तद कोरोना जैड़ी महामारी आखी दुनिया में पसरी। हे माणस! अजै ई समै है, चेतौ कर। सोच-समझ अर सावचेती सूं आगलौ पावंडौ धर। हे हिम्मत रा हेड़ाऊ! थूं कायर मत बण, हिम्मत मत हार, खुद सूं जुद्ध कर। खुद रै अंतस में जीत रौ भरोसौ राख। खुद सूं जीत्यां ई मिळैला मौत री महामारी माथै जीवण री जीत।
नव जीवण रै पसराव सारू, मानखां री मरजाद सारू, सकल सृस्टि नै बचावण सारू आज कोरोना सूं आ जंग जीतणी जरूरी है। सो बचाव सारुं मास्क बांध, वेक्सीन रो टीकौ लगा अर कीं दिन नैहचौ कर र घरै ई बैठ। जे कर सकै तो जरूरतमंद मिनखां री व्है जैहड़ी मदद कर। कोरोना करमवीरां री हूंस बधा अर सावचेती सूं पिरवार नै संभाळ। आसा अमर धन हुवै, अंतस में भरोसौ राख। हे माणस! मनोमन मत खीज। …. आगली साल अवस आवैला, वां नव जीवण री आखातीज।
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