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जीवन के प्रति आस्था को पुष्ट करता है ‘पगला घोड़ा

  - जयपुर के रवि चतुर्वेदी निर्देशित नाटक 'वो कौन था का मंचन आज

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जीवन के प्रति आस्था को पुष्ट करता है 'पगला घोड़ा

जीवन के प्रति आस्था को पुष्ट करता है 'पगला घोड़ा

जोधपुर. देश के क्लासिक नाटकों की श्रेणी में अपना प्रमुख स्थान रखने वाले सुप्रसिद्ध नाटककार पद्मश्री बादल सरकार की युगीन कृति 'पगला घोड़ाÓ का मंचन मंगलवार शाम टाउन हाल में किया गया। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के 29 वें ओमशिवपुरी नाट्य समारोह अंतर्गत साबिर खान के निर्देशन में जयपुर की सार्थक नाट्य समिति की ओर से मंचित नाटक का आगाज गांव के निर्जन श्मशान से होती है, जहां शव को जलाने के लिए आए चार व्यक्ति के बीच हठात एक पांचवां व्यक्ति भी उपस्थित हो जाता है। जलती हुई चिता से उठकर आई लड़की जिसने किसी का प्रेम न पाने की व्यथा को सहने में असमर्थ होकर आत्महत्या कर ली थी और जिसके शव को जलाने के लिए मोहल्ले के चार व्यक्ति उदारतापूर्वक राजी हो गए थे। आत्महत्या करने वाली लड़की के जीवन की घटनाओं की चर्चा करते हुए एक एक करके चारों अपने अतीत की घटनाओं की और उन्मुख होते हैं। अंत में गिलास में मिलाए हुए विष को गिरते हुए कार्तिक का यह कथन कि जीवित रहने से सब कुछ संभव हो सकता है। मंच पर कार्तिक की भूमिका में आरिफ खान, सतु बाबू- महिपाल, शशि- पंकज चौहान, हिमाद्रि -भुपेन्द्रसिंह व लड़की के रूप में युथिका ने अपने सधे हुए अभिनय से पात्रों को जीवंत किया। समारोह के पांचवे और अंतिम दिन जयपुर के रवि चतुर्वेदी निर्देशित नाटक 'वो कौन थाÓ मंचित किया जाएगा ।