scriptराव मालदेव ने सुरक्षा के लिए फलोदी किले में ली थी शरण | Phalodi celebrated 561th raising day | Patrika News

राव मालदेव ने सुरक्षा के लिए फलोदी किले में ली थी शरण

locationजोधपुरPublished: Oct 17, 2018 08:13:13 pm

Submitted by:

Manish kumar Panwar

फलोदी. पश्चिम काशी नाम से विख्यात फलोदी शहर का ५६१वां स्थापना दिवस अश्विन शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन समारोहर्पवक मनाया गया।

phalodi fort

राव मालदेव ने सुरक्षा के लिए फलोदी किले में ली थी शरण

फलोदी. पश्चिम काशी नाम से विख्यात फलोदी शहर का 561 वां स्थापना दिवस अश्विन शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन समारोहर्पवक मनाया गया। आज वैदिक मंत्रोच्चार की गंूज के बीच लटियाल माता व राव हमीर का किया पूजन करके सुख, समृद्धि, खुशहाली, सौहार्द एवं अमनचैन की कामना की गई।
इस दिन पालिकाध्यक्ष कमला थानवी, अधिशासी अधिकारी अविनाश शर्मा, राजस्व निरीक्षक विक्रमसिंह विश्नोई, पार्षद राधाकिशन थानवी, हरिकिशन व्यास, दिनेश शर्मा, रमेश थानवी, रतनचंद जैन आदि की उपस्थिति मेें सुबह किले में राव हमीर के स्मारक व मंदिर में लटियाल माता का पूजन करके शहर की सुख, समृद्धि, खुशहाली, सौहार्द एवं अमनचैन की कामना की गई। आज कई लोगों ने अपने घरों के आगे रंगाली सजाई।
पश्चिम काशी मिला नाम –
फलोदी की स्थापना सिद्धूजी कल्ला ने विक्रम संवत १५१५ मेें की थी। वे लटियाल माता के अनन्य भक्त थे। उनके फलोदी आगमन के बाद यहां लटियाल माता का मंदिर बना जो आज भी लोगों के लिए आस्था व श्रद्धा का केन्द्र है। यहां के वेदपाठियों की विद्वता के कारण फलोदी को पश्चिमी काशी नाम से भी जाना जाता है।
इतिहास का साक्षी है किला –
फलोदी की स्थापना के बाद यहां बना किला यहां के इतिहास का साक्षी है। अक्सर जोधपुर राजघराने के अधीन रहा यह किला सुरक्षा के लिहाज से अभेद्य रहा है। मुगल शासक हुमायूं के लिए जब सहयोग के सभी रास्ते बंद हो गए थे, तब जोधपुर के शासक मालदेव ने उन्हें फलोदी किले में शरण दी और सुरक्षित रखा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो