scriptईद के मुशाअरे में शाइरों ने खूब दाद पाई | Poets found a lot of shingles in the Mushayra of Eid | Patrika News

ईद के मुशाअरे में शाइरों ने खूब दाद पाई

locationजोधपुरPublished: Aug 18, 2019 07:25:41 pm

Submitted by:

M I Zahir

जोधपुर. ईदुल अज़हा ( eidul azha ) के मौके पर तहजीब ( Tahzeeb ) की मेजबानी में शनिवार शाम सूचना केन्द्र मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित सालाना मुशाअरा ( Mushayra ) में शाइरों व कवियों ( poets ) ने एक से बढ़ कर एक खूबसूरत गजलें ( ghazals ), नज्में, कत्अ, रुबाइयां और हिन्दी व राजस्थानी कविताएं, छंद व मुक्तक पेश कर रंग जमाया। मुशाअरे ( jodhpur mushayra ) की अध्यक्षता मशहूर शाइर शीन काफ निजाम ( sheen kaaf nizam ) ने की। सेवानिवृत जिला व सत्र न्यायाधीश गुलाम हुसैन मुख्य अतिथि थे।
 
 

Poets found a lot of shingles in the Mushayra of Eid

Poets found a lot of shingles in the Mushayra of Eid

जोधपुर.बरस रहा बादल छलक रही छागल, बिजली की बातों मेंआ गया पागल ..फरमाइश पर यह खूबसूरत गीत और …शाम की जब सहर हो गई, फूल की आंख तर हो गई…. गजल, रुबाइयां और कत्अ तहत और तरन्नुम में पेश कर मशहूर शाइर शीन काफ निजाम ( sheen kaaf nizam ) ने सुधि श्रोताओं से बेशुमार दाद पाई। वे ईदुल अज़हा ( eidul azha ) के मौके पर तहजीब की मेजबानी में शनिवार शाम सूचना केन्द्र मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित सालाना मुशाअरा ( Mushayra ) में कलाम पेश कर रहे थे। मुशाअरे की अध्यक्षता निजाम ने की। सेवानिवृत जिला व सत्र न्यायाधीश गुलाम हुसैन मुख्य अतिथि थे। मुशाअरे में शाइरों व कवियों ने ( Poems ) एक से बढ़ कर एक खूबसूरत गजलें, नज्में, कत्अ, रुबाइयां और हिन्दी व राजस्थानी कविताएं, छंद व मुक्तक पेश कर रंग जमाया।
मुशाअरे में प्रतिष्ठित शाइर ए डी राही ( A D Rahi ) ने गम से जिंदगी संवरती है, गम से घबरा गए तो जीना क्या, बेखुदी ही का नाम जीना है, होश में आ गए तो जीना क्या… और अफसानानिगार व शाइर हबीब कैफी ( Habeeb kaifi ) ने…रागिनी को आपने रोना पाया, जो न हो सका वो होना पाया, इसलिए महरूम सोने से रहे, हर चमकती चीज को सोना पाया… पेश कर श्रोताओं से खूब दाद पाई। इस मौके शीन मीम हनीफ , डॉ. निसार राही, अफ़ज़ल जोधपुरी, इश्राकुल इस्लाम माहिर, बृजेश अम्बर, अकमल नईम, वसीम बैलीम, मधुर परिहार, डॉ. हितेन्द्र गोयल, नीतेश व्यास, धवल सोलंकी ,चारुल उपाध्याय, डॉ.गजेसिंह राजपुरोहित, वाजिद हसन काजी व महेन्द्र छायल ने गजलें, नज्में व कविताएं पेश कीं तो श्रोता वाह-वाह कर उठे। संचालन अफजल जोधपुरी ने किया। अंत में संस्था के नफासत अहमद ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सर्वभाषा साहित्यकार, रंगकर्मी व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो