
जोधपुर रेल मण्डल के स्टेशनों पर टूटी दीवारें दुर्घटनाओं को न्योता दे रही हैं। रेलवे पटरी पैदल पार करना कानूनी अपराध है, लेकिन पटरियों के दोनों तरफ रहने वाले लोग शोर्टकट के लोभ में एक छोर से दूसरे पर जाने के लिए पैदल ही पटरियां पार करते हैं। इन मार्गों पर अंडरपास दूर-दूर होने से करीब दो-तीन किमी घूमकर जाने से बचने के लिए लोग जान जोखिम में डालने को मजबूर हंै। वहीं, अधिकांश लोगों को यह जानकारी भी नहीं है कि पैदल पटरी पार करना अपराध है।
राइका बाग से जोधपुर कैंट तक का सफर करीब पांच किलोमीटर का है। पटरियों के दोनों तरफ कई जगह दीवार टूटी हुई है, तो कहीं सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके उसके पास ही रास्ते निकाल लिए गए हैं। क्रॉसिंग के बीच में से निकलते बच्चे और वाहन चालक। ऐसे ही हालात हैं रेलवे पटरियों के आस-पास।
पटरियों पर खेलते हुए बच्चों को कोई रोकने वाला भी नहीं। जब पत्रिका टीम यहां पटरियों के पास चल रही थी तो साइड से एक आवाज आई...भाईसाहब क्या कर रहे हो, इंस्पेक्शन पर हो या फिर रिपोर्ट तैयार कर रहे हो...। टीम ने उस व्यक्ति से पूछा क्या यहां पर यूं ही लोग क्रॉसिंग को पार करते हैं। उसने कहा- हां, भाईसाहब क्या करें, कितनी बार समझा भी दिया, लेकिन कोई मानता ही नहीं। अब रेलवे इन क्रॉसिंग के साथ ही फुटओवर ब्रिज भी बना दे, तो पैदल वाले तो वहीं से निकल जाए, लेकिन इस बारे में तो रेलवे ही जाने।
Published on:
12 Feb 2024 12:57 pm
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