जनता की पीड़ा पर पसीजा कोर्ट का कलेजा, स्वास्थ्य सेवाओं पर बजट खर्च नहीं होने पर जताई चिंता
वास्तविक स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं करने पर 22 को चिकित्सा सचिव फिर तलब

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ( Rajasthan High Court ) ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति गंभीर विषय है। कोर्ट ने पूछा कि संवैधानिक दायित्व होने के बावजूद सरकार आखिर कब तक जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से महरूम रखेगीघ् कोर्ट ने कहा कि यह चिंताजनक है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास व चिकित्सकीय सेवाओं में सुधार के लिए करोड़ों रुपए का बजट आवंटन के बावजूद खर्च नहीं हो पाया है। बजट आवंटन व खर्च सहित ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा केंद्रों की स्थिति की वास्तविक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए कोर्ट ने 22 अप्रैल को चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या विशेष सचिव को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।
वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा तथा न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ में स्वप्रसंज्ञान के आधार पर दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा ने शपथ पत्र पेश किया। उनके साथ विशेष सचिव (चिकित्सा) डा मित शर्मा भी कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। शपथ पत्र में दिए गए तथ्यों को उल्लेखित करते हुए न्याय मित्र राजवेन्द्र सारस्वत व कुलदीप वैष्णव ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने खुद माना है कि सब सेंटर व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत खराब है। इन केंद्रों पर पानी, बिजली व टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार ने तीन मदों में बजट आवंटन व खर्च का ब्यौरा दिया है लेकिन पूरा पैसा खर्च नहीं हो पा रहा। खंडपीठ ने अतिरिक्त शपथ पत्र में दिए तथ्यों पर गौर किया और पाया कि सरकार ने वास्तविक तस्वीर पेश नहीं की है।
नेशनल हैल्थ मिशन का पूरा बजट खर्च क्यों नहीं?
न्यायाधीश लोढ़ा ने हैरानी जताते हुए कहा कि सब सेंटरों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाएं होने या नहीं होने का विवरण दिया गया है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि वर्तमान में कितने ऐसे कितने केंद्र कार्यरत हैं। खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शर्मा से पूछा कि नेशनल हैल्थ मिशन में आवंटित करोड़ों रुपए का बजट खर्च क्यों नहीं हुआ? अन्य मदों में आवंटित बजट के उपयोग की स्थिति भी अच्छी नहीं कही जा सकती। कोर्ट ने शर्मा को वास्तविक स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रखने के निर्देश दिए।
सुनवाई के दौरान विशेष सचिव चिकित्सा डॉ समित शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में और ज्यादा बेहतरी अपेक्षित हैं। दक्षिणी राज्यों के मुकाबले यहां अभी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थितियां ज्यादा अनुकूल नहीं कही जा सकती। उन्होंने कोर्ट को बताया कि नेशनल हैल्थ मिशन में अधिकांश बजट स्टाफ पर खर्च किया जाता है। जिनकी भर्तियां वाद लंबित होने से प्रभावित हो रही हैं। इसके अलावा नए इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के दौरान भी कई जगह भूमि अवाप्ति या भूमि आवंटन का विवाद होने पर अपेक्षित बजट खर्च नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि विभाग अब नए सॉफ्टवेयर के आधार पर मॉनिटरिंग कर रहा है। जिससे सब सेंटर स्तर की जमीनी हकीकत सामने आई है। इससे कमियों की पहचान कर उन्हें दूर करने में भविष्य में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि विद्युत व सडक़ नेटवर्क नहीं होने से कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में सब सेंटर में आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं। शर्मा ने कहा कि मरम्मत व रखरखाव के लिए बजट की आवश्यकता रहती हैं।
खंडपीठ ने कहा कि केंद्र, अंतरराष्ट्रीय संगठनों तथा राज्य द्वारा आवंटित बजट, उसे किन मदों पर खर्च किया जाता है, खर्च की वास्तविक स्थिति जानने के बाद ही कोर्ट आवश्यक दिशा-निर्देश देगा। कोर्ट ने बजट खर्च नहीं होने के कारणों का उल्लेख करने को कहा है।
चिकित्सा केंद्रों की बदहाल तस्वीर
- राज्य में 6313 (46.76 प्रतिशत) ग्रामीण, 22 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 1009 सब सेंटर्स पर नियमित जलापूर्ति नहीं
- 4900 (36.26 प्रतिशत) ग्रामीण, 19 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 793 सब सेंटर्स पर बिजली आपूर्ति नहीं
- 1665 ग्रामीण, 13 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 251 सब सेंटर्स सडक़ नेटवर्क से महरूम
- 9553 ग्रामीण, 25 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 1309 सब सेंटर्स पर पुरुष व महिला टॉयलेट की सुविधा का अभाव
- 6695 ग्रामीण, 15 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 710 सब सेंटर्स पर स्टाफ के लिए टॉयलेट की सुविधा नहीं
- राज्य में 254 ग्रामीण, 22 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित जलापूर्ति नहीं
- 84 ग्रामीण, 11 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बिजली आपूर्ति नहीं
- 93 ग्रामीण, 31 शहरी तथा जनजाति क्षेत्रों में स्थित 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सडक़ नेटवर्क से महरूम
खर्च की स्थिति भी चिंताजनक
सरकार की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 में परिवार कल्याण मद में आवंटित बजट में 94.41 प्रतिशत, नेशनल हेल्थ मिशन में 70 प्रतिशत तथा जन स्वास्थ्य मद में 81.33 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई। इससे पूर्ववर्ती वर्षों में भी यह प्रतिशत इससे कम रहा है।
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