5 किलो मोली से तैयार हुआ साफा इरफान व अरशद ने बताया कि रोजमर्रा के काम के साथ ही मोली का साफा बनाने की ठानी। इसके लिए ५ किलो मोली ली और २२ इंच का साफा ७ दिन में तैयार किया। दोनों ने ३ अलग-अलग साइज में साफे बनाए। इनमें २२ इंच के मोली के साफे के अलावा कीचैन साइज साफा व ११ इंच का भी साफा बनाया। इसके अलावा साफे की कीचैन बनाई। यह कीचैन पचरंगी साफा, सतरंगी, केशरिया, लहरिया सहित कई तरह के साफे के कीचैन तैयार किए।
शौक है, धंधा नहीं
इरफान व अरशद ने बताया कि साफे बनाने, रंगने व बांधने का उनका पुश्तैनी काम है। यह काम उनको विरासत में मिला है। वे अपनी विरासत को कायम रखना चाहते हैं। उन्होंने यह काम अपने दादा आबिद अली रंगरेज से सीखा। साफे बनाने, रंगने के काम के साथ ही कुछ हटकर काम किया और अपनी कला वल्र्ड रिकॉर्ड इंडिया को भेजा। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। जहां इनकी कला का एक रिकॉर्ड के रूप में श्रेष्ठ पुरस्कार के लिए चयन किया गया और दोनों को मैडल, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इरफान व अरशद ने बताया कि यह काम केवल उनका शौक है, धंधा नहीं, इसलिए वे अपनी कला को बेचेंगे नहीं। सम्मान पाकर प्रफुल्लित नजर आ रहे इरफान व अरशद ने बताया कि उन्हें अपनी कला पर गर्व हैं।
शौक है, धंधा नहीं
इरफान व अरशद ने बताया कि साफे बनाने, रंगने व बांधने का उनका पुश्तैनी काम है। यह काम उनको विरासत में मिला है। वे अपनी विरासत को कायम रखना चाहते हैं। उन्होंने यह काम अपने दादा आबिद अली रंगरेज से सीखा। साफे बनाने, रंगने के काम के साथ ही कुछ हटकर काम किया और अपनी कला वल्र्ड रिकॉर्ड इंडिया को भेजा। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। जहां इनकी कला का एक रिकॉर्ड के रूप में श्रेष्ठ पुरस्कार के लिए चयन किया गया और दोनों को मैडल, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इरफान व अरशद ने बताया कि यह काम केवल उनका शौक है, धंधा नहीं, इसलिए वे अपनी कला को बेचेंगे नहीं। सम्मान पाकर प्रफुल्लित नजर आ रहे इरफान व अरशद ने बताया कि उन्हें अपनी कला पर गर्व हैं।