एम्स के निदेशक प्रोफ़ेसर डॉ. संजीव मिश्रा की सलाह और मार्गदर्शन में ऑपरेशन को पूरी तरह से रोबोट के माध्यम से करने की योजना डॉ वैभव वाष्र्णेय और डॉ सुभाष सोनी ने बनाई। कोलेडोकल सिस्ट को काटने और आंतों को वापस जोडऩे का जटिल ऑपरेशन पूरी तरह से रोबोट के जरिए किया गया। इसके अलावा सर्जरी में इंडो-सायनिन ग्रीन (आईसीजी ) तकनीक का उपयोग भी किया गया था। जो भारत में बहुत सीमित केंद्रों में उपलब्ध है। एम्स के निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा ने पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि रोबोट के माध्यम से एम्स में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में फूडपाइप, पेट, अग्न्याशय, यकृत व आंत की अन्य जटिल सर्जरी भी सफ लतापूर्वक की जा चुकी हैं।
इनका रहा सहयोग
सर्जरी डॉ वैभव वाष्र्णेय के द्वारा की गई। वहीं डॉ सुनीता सुमन, डॉ आशीष स्वामी, निश्चेतना विभाग के डॉ प्रदीप भाटिया, डॉ निखिल कोठारी, डॉ अंकुर शर्मा और नर्सिंग संतोष कुरी और लोकेंदर ने सर्जरी में सहयोग किया।
सर्जरी डॉ वैभव वाष्र्णेय के द्वारा की गई। वहीं डॉ सुनीता सुमन, डॉ आशीष स्वामी, निश्चेतना विभाग के डॉ प्रदीप भाटिया, डॉ निखिल कोठारी, डॉ अंकुर शर्मा और नर्सिंग संतोष कुरी और लोकेंदर ने सर्जरी में सहयोग किया।
ये रही खासियत
ऑपरेशन न केवल 8 मिमी के चार छोटे चीरो के माध्यम से किया गया, बल्कि रोबोट विधि के कारण कम से कम रक्त का प्रवाह हुआ। छोटे चीरे और कुशल सर्जरी के कारण रोगी को सर्जरी के बाद कम से कम दर्द हुआ। सर्जरी के अगले दिन उसे मौखिक आहार शुरू किया गया और सर्जरी के 4 दिन ही बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई। एम्स जोधपुर के सर्जिकल गैस्ट्रो विभाग के सह -आचार्य डॉ वैभव वाष्र्णेय ने बताया कि दुनिया भर में इस प्रकार के मामलों की पूरी तरह से रोबोट के माध्यम से सर्जरी केवल सीमित संख्या में की गई है और अब यह सुविधा एम्स जोधपुर में भी उपलब्ध हो गई है।
ऑपरेशन न केवल 8 मिमी के चार छोटे चीरो के माध्यम से किया गया, बल्कि रोबोट विधि के कारण कम से कम रक्त का प्रवाह हुआ। छोटे चीरे और कुशल सर्जरी के कारण रोगी को सर्जरी के बाद कम से कम दर्द हुआ। सर्जरी के अगले दिन उसे मौखिक आहार शुरू किया गया और सर्जरी के 4 दिन ही बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई। एम्स जोधपुर के सर्जिकल गैस्ट्रो विभाग के सह -आचार्य डॉ वैभव वाष्र्णेय ने बताया कि दुनिया भर में इस प्रकार के मामलों की पूरी तरह से रोबोट के माध्यम से सर्जरी केवल सीमित संख्या में की गई है और अब यह सुविधा एम्स जोधपुर में भी उपलब्ध हो गई है।