राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नाथू सिंह राठौड़ ने तो सीधा आरोप लगाया है कि राजस्व न्यायालयों में अधिकारी पैसे लेकर मनमर्जी से आदेश पारित करते हैं। एसोसिएशन ने पूर्व में भी यह मांग उठाई थी कि प्रदेश के सभी राजस्व न्यायालयों में प्रशासनिक अधिकारियों के बजाय न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की जाए, ताकि न्याय व्यवस्था पारदर्शी एवं सुदृढ़ हो सके, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
इधर, भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे अधिकारियों के खिलाफ अधिवक्ताओं के संगठनों को राजस्थान हाईकोर्ट के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं। हाल ही चित्तौड़गढ़ जिले के बेगू की बार एसोसिएशन ने उपखंड अधिकारी के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की है। मार्च में बेगू उपखंड अधिकारी कार्यालय में रीडर की अलमारी में एसीबी ने तीन लाख रुपए की संदिग्ध नकदी बरामद की थी। इसके बावजूद एसडीएम पद पर बने हुए थे। याचिका में एसडीएम की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि वे एसीबी के निशाने पर आने के बावजूद न्यायिक कार्य संपादित कर रहे हैं। एसोसिएशन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डाॅ. सचिन आचार्य का कहना है कि जिस तरह भ्रष्टाचार के आरोपी के खिलाफ बेगू के अधिवक्ता समुदाय ने हाईकोर्ट का रुख किया, ऐसे मामले सामने आने पर अन्य क्षेत्रों की बार एसोसिएशन को भी उचित फोरम पर अपनी बात उठानी चाहिए।
बार कौंसिल के अध्यक्ष सुनील बेनीवाल ने कहा कि खंडेला की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। कौंसिल ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जिन राजस्व अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच लंबित हैं, उन्हें न्यायिक कार्य से दूर रखा जाए।