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जोधपुर के इस स्कूल में मंडरा रहा विद्यार्थियों की जान पर खतरा, जिम्मेदार ने मूंदी आंखें

रजलानी गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में वर्तमान में करीब एक दर्जन से अधिक कमरे बने हुए हैं।

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भोपालगढ़/जोधपुर. जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र के रजलानी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का भवन अपनी खस्ताहाल हालत की वजह से जीता जागता मौत का ताबूत बना हुआ है। यहां बने लगभग सभी कमरे और इनके साथ बना हुआ बरसों पुराना और गिरने के कगार पर आया बरामदा हर समय यहां पढऩे वाले विद्यार्थियों व उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए सिर पर मौत के किसी भयानक साये की तरह मंडराता सा नजर आता है। लेकिन बावजूद इसके न तो ग्राम पंचायत अथवा विभागीय स्तर पर इसकी मरम्मत अथवा नवनिर्माण के लिए कोई प्रयास किए गए हैं और न ही जनप्रतिनिधि इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं।

रजलानी गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में वर्तमान में करीब एक दर्जन से अधिक कमरे बने हुए हैं। जिनकी कतार के साथ ही लगता हुआ इनका बरामदा भी बना हुआ है। विद्यालय में कुछ समय पहले बनाए गए दो-तीन नए कमरों के अलावा विद्यालय का करीब 30-35 साल पहले बनवाया गया पूरा का पूरा भवन बेहद क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच गया है। हालत यह है कि अधिकांश कमरों की टीपें व सीमेंट तो लगभग पूरी तरह से उखड़ सी गई है। यहां तक कि इनकी दीवारों की सीमेंट भी लगभग टूटने के कारण आर-पार दिखती बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। प्रधानाचार्य कक्ष वाले कमरे व इसके आखिरी छोर पर बने एक अन्य कमरे व बरामदे की छत की तो बात करने से ही डर सा लगता है। इनकी छतों में छीणें खुली-खुली और इनकी टीप टूटने से अलग-अलग दिखाई देने लगी है।

दीवारों में जगह-जगह दरारे आने से आर-पार झांका जा सकता है। बावजूद इसके विद्यालय में बाद में बने दो-तीन कमरों के अलावा कोई अन्य व्यवस्था नहीं होने से बच्चों को इन्हीं कमरों में बिठाकर पढ़ाने की शिक्षकों की भी मजबूरी है। जबकि बाद में बने कमरों में भी काफी दरारें आ गई है। रजलानी स्कूल के भवन की ऐसी बुरी हालत के बीच गत शनिवार को इस इलाके में आए भूकंप ने इस विद्यालय के क्षतिग्रस्त भवन की तो चूलें ही हिलाकर रख दी थीं। असल में भूकंप की वजह से विद्यालय के कमरों की दरारों को और अधिक बढ़ा दिया है तथा इसके बाद तो बच्चे व शिक्षक भी इन कमरों में जाकर पढऩे-पढ़ाने से कतराने लगे हैं। साथ ही विद्यालय भवन के गिरने का खतरा बनने से पिछले तीन-चार दिनों से बच्चों ने कमरों में बैठने से ही मना कर दिया है और शनिवार दोपहर में ही भागकर बाहर आए बच्चे अब न केवल वापिस जाने से कतरा रहे हैं। जिसके चलते गत तीन दिनों से विद्यालय के खुले मैदान में पेड़ों के नीचे ही सारी कक्षाएं लग रही है और शिक्षक भी बच्चों को लेकर कक्षाओं में बैठने का खतरा मोल नहीं ले रहे हैं।

इस संबंध में संस्था प्रधान की ओर से कई बार ग्राम पंचायत और विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखकर यहां के क्षतिग्रस्त कमरों की मरम्मत अथवा जरुरत के हिसाब से नवनिर्माण के लिए लिखा गया है। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने एवं अब भूकंप के बाद हालत और अधिक बिगडऩे से विद्यार्थियों के लिए यह खतरा बढ़ गया है। इससे नाराज छात्रों ने मंगलवार को तालाबंदी व रास्ता रोककर प्रदर्शन भी किया था। इस संबंध में यहां के ग्रामीण मांगीलाल चौधरी बताते हैं कि रजलानी के राउमा विद्यालय के बरसों पुराने भवन में अधिकांश कमरों की हालत बेहद दयनीय एवं खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है और इस वजह से हर समय बच्चों के सिर पर मौत का खतरा मंडराता रहता है। लेकिन इस ओर न तो इतने बरसों में ग्राम पंचायत ने कोई ध्यान दिया और न ही विभागीय स्तर पर अथवा प्रशासन की ओर से इसकी मरम्मत या पुर्ननिर्माण को लेकर कार्यवाही की गई है।

जिसके चलते हम बच्चों को घर से ही सावधानी रखने की हिदायत देकर स्कूल भेजते हैं। वहीं प्रधानाचार्य मदनलाल जमेरिया का कहना है कि विद्यालय भवन के हालात के बारे में कई बार विभाग को अवगत कराया है और अब भूकंप आने के बाद बढ़ी दरारों से पैदा हुए खतरे को लेकर भी विभाग को अवगत करा दिया है। बच्चे इन कमरों में बैठने को तैयार नहीं है और हम सभी शिक्षक भी इन्हें अंदर बिठाने का खतरा मोल लेने से कतरा रहे हैं। ऐसे में पूरे भवन की अच्छी मरम्मत या पुर्ननिर्माण को लेकर फिर से प्रस्ताव भेजेंगें। फिलहाल तत्काल राहत की जरुरत है और इसके ग्राम पंचायत या भामाशाहों से सहयोग मांगा जाएगा।