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किला रोड अमरनाथ महादेव के पं कमलेश कुमार दवे बताया कि सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है। पं प्रेमप्रकाश ओझा व पं अनीष व्यास के अनुसार, इन 15 दिनों में कोई शुभ कार्य जैसे, गृह प्रवेश, कानछेदन, मुंडन, शादी, विवाह नहीं कराए जाते।
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जलाशयों पर तर्पण
पं. सत्यनारायण दवे राजवेदिया ने बताया कि पितृपक्ष में पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति के लिए जलाशयों पर तर्पण, पिंडदान और हवन आदि करते हैं। पं रमेश बोहरा ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में पदमसागर, कायलाना, रामेश्वर मंदिर के पीछे रघुनाथ बावड़ी, भूतनाथ स्थित जलाशय पर तर्पण कार्यक्रम होंगे। श्राद्ध की तिथियां
29 सितम्बर पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितम्बर प्रतिपदा श्राद्ध,द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या