इसके बाद उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया। साथ ही खानधारकों की ओर से सिम्प्लीफाइड माइनिंग स्कीम (एसएमएस) के तहत प्रस्तुत आवेदन का अनुमोदन का काम भी अटका दिया। चक्कर काट रहे खानधारक
क्वारी लाइसेंसों (1 हैक्टेयर से कम क्षेत्र में विकसित खानें) के एसएमएस अनुमोदन व क्वारी लाइसेंसों के हस्तांतरण जैसे कार्यों के लिए खानधारक छह माह से चक्कर काट रहे हैं।
खनि अभियंता ने कुछ क्षेत्रों के क्वारी लाइसेंसों के लिए चौहान को अधिकृत किया था। इसके पीछे मंशा यह थी कि खानधारकों के काम का निस्तारण जल्द होगा और उन्हें राहत मिलेगी। एसएमएस में पत्थर खनन, पर्यावरण संरक्षण, प्लांटेशन, पानी के छिडक़ाव व खनन संचालन संबंधित जानकारी देनी होती है। इन क्षेत्रों के लिए किया था अधिकृत
चौहान को जिले के केरू ए, दंताला, नाइयों की बेरी, उखलिया, उखलिया ए व बी, मोरभाखरी, ढूंढाली, पालड़ी मांगलिया, घोड़ा घाटी, गदियानाडा, भूरीबेरी, खेजड़ला, बिराई, पुराना किला, सोवनिया, कांकिया, मगरा, अरण-ए, हनुमानसागर, मगजी की घाटी, भदरेसिया, देवलिया, मगरा, गोलासनी, मण्डोर घाटी, बालसमंद व केरू क्षेत्रों की करीब 3 हजार क्वारी लाइसेंसों के एसएमएस अनुमोदन के लिए अधिकृत किया था।
इनका कहना है ‘एसएमएस अनुमोदन का चार्ज सहायक खनिज अभियंता के पास है। यह जानकारी वही देंगे कि कितने एसएमएस का अनुमोदन हुआ।
श्रीकृष्ण शर्मा, खनिज अभियंता