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थार में बढ़ा तापमान तो कुरजां को याद आने लगा अपना वतन

locationजोधपुरPublished: Feb 26, 2021 01:30:58 am

Submitted by:

Nandkishor Sharma

खीचन में 7 से अधिक समूह ने भरी गंतव्य की ओर उड़ान

थार में बढ़ा तापमान तो कुरजां को याद आने लगा अपना वतन

थार में बढ़ा तापमान तो कुरजां को याद आने लगा अपना वतन

जोधपुर. शीतकाल में प्रवास पर आने वाले पक्षियों को थार में तापमान बढ़ोतरी के साथ अपने वतन की याद आने लगी है। उत्तरी रूस, उक्रेन तथा कजाकिस्तान में जब बर्फ जमने लगती है तो सारस प्रजाति के सदस्य कुरजां हजारों की तादाद में समूह के रूप में जोधपुर जिले के खींचन में पड़ाव डालती है। इस बार प्रवास के लिए 31 हजार कुरजां खींचन पहुंची थी। अब गर्मी की दस्तक के साथ ही कुरजां पक्षियों के अलग अलग समूह अपने गंतव्य की ओर उड़ान भरने लगे है। शुक्रवार तक सात ग्रुप के करीब छह हजार पक्षी अपने गंतव्य की ओर से उड़ान भर चुके है। शेष पक्षी भी आकाश में ऊंची उड़ाने भरकर जाने का संकेत देने लगे है। खींचन चुग्गा घर में पक्षियों की देखभाल करने वाले पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि खींचन से कुरजां के 6 समूह रवाना हो चुके है। अब खीचन में बचे करीब 24 हजार पक्षी भी धीरे धीरे रवाना हो जाएंगे।
ऐसे मिलता है रवानगी का संकेत
पिछले दो दशक से कुरजां की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखने वाले पक्षी प्रेमी सेवाराम ने बताया कि शीतकाल प्रवास में पक्षी आसमान में विचरण करते है, लेकिन वतन वापसी के समय कुछ दिन पहले पक्षी आसमान में काफ ी ऊंचाई पर उड़ान भरने का अभ्यास करने लगते है। अभ्यास का सिलसिला करीब 5 से 6 दिन तक होता है। आकाश में ऊंचाई पर उड़ान भरना पक्षियों की रवानगी का संकेत है । तापमान में इसी तरह बढ़ोतरी होती रही आगामी कुछ ही दिनों में सभी पक्षी अपने वतन वापसी के लिए उड़ान भर सकते है।
कोरोनकाल, बर्ड फ्लू के बीच रहे सुरक्षित
इस बार प्रवासी पक्षियों को थार की आबोहवा खूब रास हुई। खींचन में 31 हजार से अधिक पक्षी कोरोनाकाल में पहुंचे और पूरे प्रदेश में बर्ड फ्लू की दहशत के बावजूद सुरक्षित रहकर प्रवासकाल पूरा कर रहे है। शीतकालीन प्रवास पक्षी वैज्ञानिकों व पक्षी विशेषज्ञों के लिए भी खास रहा । कई पक्षियों में पैरों में रिंगिंग कॉलर व सैटेलाइट टैग मिले थे। जिससे पता चलता है पक्षियों के प्रवास पर शोध करने वाले वैज्ञानिक उनकी स्थिति का आंकलन कर रहे थे।
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