बीसीआर के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन का कार्यकाल 15 फरवरी को ही समाप्त हो गया था। इसे देखते हुए रविवार को कौंसिल की बैठक बुलाई गई थी, ताकि अन्य एजेंडे पर विचार-विमर्श सहित चेयरमैन, वाइस चेयरमैन तथा चार को-चेयरमैन का चुनाव करवाया जा सके। इससे पहले ही बीसीआइ चेयरमैन ने चुनाव प्रक्रिया में दखल दे दिया। दरअसल, बीसीआर के सदस्य सज्जनराज सुराणा का पिछले वर्ष निधन होने से एक सदस्य का पद खाली हो गया था। नियमानुसार सदस्य का पद खाली होने पर किसी अधिवक्ता को सहवृत सदस्य बनाने का प्रावधान है, लेकिन सहवरण को लेकर मतभेद के चलते कोई निर्णय नहीं हो पाया। बीसीआइ के चेयरमैन ने यह कहते हुए चुनावों पर रोक लगा दी कि चुनावों से पहले रिक्त सीट पर सदस्य का सहवरण होना चाहिए। यदि चुनाव पहले हो गए तो सहवरण निरर्थक होगा। इस आदेश को कुछ सदस्यों ने हाथों-हाथ हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके लिए रविवार को न्यायाधीश डा.पुष्पेंद्रसिंह भाटी की पीठ का गठन किया गया। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विकास बालिया ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 13 में प्रावधान है कि बार कौंसिल या समितियों की किसी भी कार्यवाही को किसी भी रिक्ति के अस्तित्व के कारण अमान्य नहीं किया जा सकता। एकलपीठ ने बीसीआइ चेयरमैन सहित तीन पक्षकारों को ईमेल से नोटिस तामील करवाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नोटिस की एक प्रति बीसीआर के सचिव के माध्यम से संप्रेषित करने को कहा गया है।