script.दीपदान से दूर हुआ निराशा का अंधेरा | The darkness of despair was removed from the candle | Patrika News

.दीपदान से दूर हुआ निराशा का अंधेरा

locationजोधपुरPublished: Nov 16, 2020 09:54:18 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

 
‘सुखरात्रि की प्रदोष वेला में चहुं ओर छाया उल्लास

.दीपदान से दूर हुआ निराशा का अंधेरा

महालक्ष्मी विष्णु प्रिया के आगमन पर जगमग जोधपुर : फोटो जेके भाटी

जोधपुर. दिवाली की शाम ‘सुखरात्रिÓ की प्रदोष वेला में महालक्ष्मी ‘विष्णुप्रियाÓ के स्वागत के लिए सूर्यनगरीवासियों ने पलक पांवड़े बिछा दिए। घरों की दहलीज-कंवळों में रोशन दीयों से सजी दीपमालाओं से समूची सूर्यनगरी जगमगा उठी। आनंद-उल्लास के माहौल में दीपोत्सव की शाम महालक्ष्मी के साथ प्रथम पूज्य गणेश व सरस्वती के षोडशोपचारपूर्वक पूजन किया गया। हालांकि पुलिस की सख्ती और प्रतिबंध के बावजूद रात शहर के विभिन्न क्षेत्रों में देर रात तक पटाखे छोडऩे और आतिशबाजी के कारण कई नियम कानून कायदे भी टूटते नजर आए।
दिवाली के दूसरे दिन रविवार को शहरवासियों ने सामाजिक दूरी के नियमों की पालना करते हुए घरों और आस-पड़ौस के सभी बड़े बुजुर्गों, रिश्तेदारों से आशीर्वाद व रामा-श्यामा करने की परम्परा का निर्वहन किया। सोशल मीडिया पर भी दीपावली की बधाई संदेशों के आदान-प्रदान करने का क्रम अनवरत चलता रहा।
गृहलक्ष्मियों ने किया गोवद्र्धन पूजन .
महालक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन रविवार को सुबह घरों के बाहर गोवद्र्धन पूजन किया। अलसुबह घरों की दहलीज के बाहर सजी धजी गृहलक्ष्मियों ने रंगोली सजाने के गाय के गोबर से गोवद्र्धन प्रतीक बनाकर पूजन किया गया। घरों में बनाए गए पकवानों का प्रसाद चढ़ाया और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, खुशहाली व समृद्धि की प्रार्थना की। गोवद्र्धन पूजन के साथ ही वैष्णव मंदिरों व पुष्टिमार्गीय परम्परा से जुड़े मंदिरों में अन्नकूट आयोजन भी शुरू हो गए।
यम द्वितीया से हुआ पंचपर्व का समापन .

कार्तिक त्रयोदशी ‘धनतेरसÓ से शुरू हुए पंचपर्व के अंतिम दिन सोमवार को भाई दूज यम द्वितीया पर्व मनाया गया। भाइयों की अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए बहनों ने रक्षा सूत्र बांधकर उनकी खुशहाली व समृद्धि की प्रार्थना की। विवाहित बहनों ने भाई को घर आमंत्रित कर हाथों से भोजन कराया व आरती उतार कर उनके दीर्घायु, खुशहाली और समृद्धि की कामना की। भाईयों ने भी अपने सामथ्र्य अनुसार बहनों को उपहार-मिष्ठान, वस्त्रादि से सत्कृत किया। यम द्वितीया के उपलक्ष्य में पवित्र सरोवरों-जलाशयों के तट पर दीपदान किया गया।

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