script.ऩहीं रहे गांधीवादी चिन्तक,विचारक गोलेच्छा | .The Gandhian thinker, thinker and thoughtlessness | Patrika News

.ऩहीं रहे गांधीवादी चिन्तक,विचारक गोलेच्छा

locationजोधपुरPublished: May 04, 2021 11:00:12 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

गांधीजी से चार बार मिले, जीवन भर रहा प्रभाव

.ऩहीं रहे गांधीवादी चिन्तक,विचारक गोलेच्छा

.ऩहीं रहे गांधीवादी चिन्तक,विचारक गोलेच्छा

जोधपुर. प्रसिद्ध गांधीवादी चिन्तक,विचारक व सर्वोदयी त्रिलोकचन्द गोलेच्छा ‘बाबूजी Ó का निधन रविवार रात बक्तावरमलजी का बाग स्थित उनके निवास में हुआ। वे 97 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को सिवांचीगेट स्थित श्मशान में किया गया। सेवा और सादगी के उपासक गोलेच्छा ने पाल रोड स्थित कन्हैया गौशाला के संस्थापक भी रहे। गुलेच्छा दो पुत्रियां उषा व गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष आशा बोथरा सहित भरापुरा परिवार छोड़ गए है।
गांधीजी से चार बार मिले, जीवन भर रहा प्रभाव
शताब्दी पुरुष त्रिलोकचंद गोलेच्छा ने अपने जीवन को एकदम सरल व स्वाभाविक बना लिया था। उन्हें कभी किसी भी चीज का अभाव नजर नहीं आता , न ही जीवन में कभी उन्हें दुनिया की तड़क – भड़क ने प्रभावित किया । बचपन में ही उनमें समाज सुधार के बीज़ ऐसे पड़े कि जीवन पर्यन्त इसका प्रभाव बना रहा। खींचन निवासी पिता सुखलाल गोलेच्छा व मां पाना देवी के आंगन में जन्म लेने वाले गोलेच्छा की प्राथमिक शिक्षा खींचन में हिन्दी माध्यम से तो हायर सैकेण्डरी विशाखापट्टनम् के पास स्थित अनकापल्ली में तेलुगु भाषा में हुई । वर्ष 1947 में जोधपुर की जसवंत कॉलेज से बी.कॉम की परीक्षा अंग्रेजी माध्यम से उत्तीर्ण की । वर्ष 1946 में नागपुर निवासी मोतीलाल सुराणा की पुत्री छगन देवी के साथ विवाह हुआ था। वर्ष 1946 में वर्धा में गांधीजी की प्रार्थना सभा में भाग लेने के बाद वे गांधी के अनन्य भक्त बन गए और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारा। वे चार बार गांधीजी के संपर्क में आए । वर्ष 1953 में चांडिल
( बिहार ) में जयप्रकाश नारायण , विनोबा भावे , धीरेन भाई के सानिध्य में आयोजित भू – दान व सर्वोदय सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी निभाई ।
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