ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उच्च शुक्र शुभ फलदायी होते हैं नीच शुक्र नकारात्मक परिणाम लेकर आते हैं। नवग्रहों में शामिल छठा ग्रह शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना जाता है। शुक्र यदि कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमजोर होने पर यह अशुभ फल देता है। इस ग्रह को 27 नक्षत्रों में से भरणी पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख वैवाहिक सुख भोग-विलास शोहरत, कला प्रतिभा, सौन्दर्य आदि का कारक माना जाता है।
शुक्र के पास अमृत संजीवनी ज्योतिषियों के अनुसार अमृत संजीवनी के स्वामी शुक्र पृथ्वी के साथ हैं और शुक्र के पास अमृत संजीवनी है। इस कारण कोरोना महामारी में कमी तथा प्राकृतिक आपदा और अप्रिय घटनाएं जन शून्य स्थानों पर होने की संभावना अधिक है। देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा। राजनीति में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। ज्योतिष अनीष व्यास के अनुसार शुक्र के अशुभ प्रभाव से जातक को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती है। शुक्र का गोचर मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, कर्क, कन्या व मीन राशि वालों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा।