छँवरलाल ने जोधपुर और पश्चिमी राजस्थान की विभिन्न प्रतिभाओं को राजस्थानी लोक गायन के प्रारंभिक स्तर पर इस तरह प्रोत्साहित करना शुरू किया कि वे धीरे धीरे देश दुनिया में अपनी गायकी और प्रस्तुति से लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने लगे और कई कलाकारों के परिवारों को रोजगार मिला।