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एक ऐसी स्कूल जहां छाया मिले वहीं लग जाती है कक्षाएं देखे वीडियो

locationजोधपुरPublished: Apr 11, 2019 12:43:27 pm

Submitted by:

pawan pareek

जोधपुर जिले के इस गांव में धूप से बचने के लिए कभी पेड़ तो कभी स्कूल के आस-पास भवनों के पास लगा रहे कक्षाएं

Where the shadows are found, the classes are there

एक ऐसी स्कूल जहां छाया मिले वहीं लग जाती है कक्षाएं देखे वीडियो

चामू (जोधपुर). शिक्षा विभाग सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने व विद्यालय में सभी सुविधाओं से युक्त गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाने का बड़े बड़े दावा भले ही करता रहा हो। लेकिन, आज भी कई गांवों में धरातल पर हालात खराब है। हालात यह है कि कक्षाएं लगान के लिए शिक्षकों व छात्रों को छाया तलाशनी पड़ती है। गर्मी का असर बढ़ते ही यहां पढ़ने वाले बच्चों के परेशानी बढ़ गई। धूप से बचने के लिए कभी पेड़ तो कभी स्कूल के आस-पास भवनों के पास जहां कहीं भी छाया हो वहां कक्षा लगानी पड़ रही है।

डिजिटल इंडिया के युग में ऐसा भी सरकारी स्कूल है जहां पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड व भवन तक नहीं है। लोड़ता बामणिया सुथारों की ढाणी स्थित राप्रावि अपनी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। स्कूल के नामांकिंत विद्यार्थी खुले आसमान के नीचे पेड़ तले शिक्षा की अलख जगाकर अपने भविष्य के सपनों को संजो रहे है।
शिक्षा विभाग ने स्कूल सत्र 2015 में प्रारंभ किया था। इतना समय गुजर जाने के बाद भी विद्यालय का न तो अपना भवन है, न ही विद्यार्थियों के बैठने की दरियां, न ही पीने के पानी का कोई प्रबंध है। न शौचालय है न पोषाहार बनाने का कमरा है। विद्यार्थी सर्दी, गर्मी, वर्षा के मौसम में परेशान होते है और विभाग को इसकी फिक्र नहीं है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में मात्र 9 विद्यार्थी विद्यालय आ पा रहे है। विद्यालय में दो अध्यापक विद्यार्थियों को पढ़ाने आते है।
ऐसे होती है व्यवस्था

जानकारी के अनुसार जब स्कूल शुरू होता है तो शिक्षक अथवा बच्चे अपने घर या आस-पास के घरों से श्यामपट्ट आदि लेकर आते हैं। वहीं इतना ही नहीं बच्चों की उपस्थित पंजीका भी कभी आसपास के घरों में रखी जाती है तो कभी शिक्षक अपने साथ ही ले जाते हैं।


इन्होंने कहा

राप्रावि बामणिया सुथारों की ढाणी स्थित विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं व विद्यालय भवन की जानकारी नहीं है। उनकी अभी नई पोस्टिंग ही है, लेकिन एबीईओ शिवप्रताप विश्नोई ने बताया है कि इस विद्यालय के भवन के लिए हमने पूर्व में प्रस्ताव भेजा था, लेकिन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण भवन नहीं बना पाए। अब इसका नए सिरे से प्रस्ताव लेकर भवन बनाने की कार्रवाई की जाएगी।
-नेकीराम, सीबीईओ सेखाला

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