आगरे का किला व जोधपुर का ब्रह्मपुरी जोधपुर के भवनों के निर्माण में बारीक और सुंदर कारीगरी यहां की विशेषता है। आगरे का किला, ब्लूसिटी का उम्मेद भवन पैलेस और लाहोर का रेलवे स्टेशन जोधपुर के छीतर के पत्थर से बड़ी खूबसूरती और कलात्मक ता से बने हुए हैं। पुराना शहर नये तालाब के पत्थर की खानों से बना हुआ है। नया तालाब पर १२० फुट की ऊंचाई पर अधारशिला का निर्माण हुआ है। शहर की बह्मपुरी सहित पुरानी आबादी के मकान इसी पत्थर से बने हुए हैं।
चट्टान काट कर मूर्तियां बनाईं
मंडोर का जनाना महल और राजकीय संग्रहालय है। मंडोर में ही दो महाराजा जसवंतसिंह व महाराजा जसवंतसिंह के दो मंदिरनुमा देवल बड़ी खूबसूरती से तराशे गए हैं और महाराजा सूरसिंह व महाराजा उदयसिंह आदि की छतरियां और मंडोर के पीछे पचकुंडा में ४६ छतरियां भी स्थापत्य और पुरातत्व का बेहतरीन नमूना हैं।
मंडोर का जनाना महल और राजकीय संग्रहालय है। मंडोर में ही दो महाराजा जसवंतसिंह व महाराजा जसवंतसिंह के दो मंदिरनुमा देवल बड़ी खूबसूरती से तराशे गए हैं और महाराजा सूरसिंह व महाराजा उदयसिंह आदि की छतरियां और मंडोर के पीछे पचकुंडा में ४६ छतरियां भी स्थापत्य और पुरातत्व का बेहतरीन नमूना हैं।
आर्किटेक्चर की मिसाल जसवंत थड़ा और मूर्तियां जसवंतसिंह द्वितीय ने संगमरमर से जसवंत थड़ा बनवाया था, इस पर मुगल स्थापत्य कला का प्रभाव है। मंडोर में चट्टान को काट कर देवताओं की मूर्तियां स्थापत्य और मूर्ति शिल्प कला की मिसाल हैं।
स्थापत्य की खूबसूरत मिसाल शिप हाउस
महाराजा सर प्रतापसिंह ने 1886 ई. में नागौरी गेट के पास एक छोटी सी पहाड़ी पर शिप हाउस का निर्माण करवाया था। इसका नक्श जी.जे. ओवरीन ने बनाया था और राज्य के प्रमुख अभियंता होम के निर्देशन में शिप हाउस बना था। यह तीन मंजिला कलात्मक भवन शहर के लिए अनूठी इमारत है।
महाराजा सर प्रतापसिंह ने 1886 ई. में नागौरी गेट के पास एक छोटी सी पहाड़ी पर शिप हाउस का निर्माण करवाया था। इसका नक्श जी.जे. ओवरीन ने बनाया था और राज्य के प्रमुख अभियंता होम के निर्देशन में शिप हाउस बना था। यह तीन मंजिला कलात्मक भवन शहर के लिए अनूठी इमारत है।
सरदार मार्केट व त्रिपोलिया महाराजा विजयसिंह ने गिरदीकोट का निर्माण करवाया था। महाराजा सरदारसिंह ने सरदार मार्केट का निर्माण करवाया। सन १९११ से १९१२ के बीच सरदार मार्केट जोधपुरी पत्थर से बहुत कलात्मकता के साथ बनाया गया था। इसे समकोण में बनाया गया था। हर दुकान का आकार बराबर रखा गया।
कलात्मक माचिया किला
महाराजा तखतसिंह (1843-1873 ई.) ने कायलाना के पास माचिया पहाड़ी पर नाजर हरकरण के निर्देशन में एक किला बनवाया, जिसका नाम महाराजा के तखतसिंह के नाम पर ‘तखतगढ़ रखा गया। भविष्य की संभावनाएं तलाशें और तराशें
महाराजा तखतसिंह (1843-1873 ई.) ने कायलाना के पास माचिया पहाड़ी पर नाजर हरकरण के निर्देशन में एक किला बनवाया, जिसका नाम महाराजा के तखतसिंह के नाम पर ‘तखतगढ़ रखा गया। भविष्य की संभावनाएं तलाशें और तराशें
पुराने जमाने में खासकर राजा महाराजाओं के जमाने में जोधपुर में एक काम सबसे अच्छा यह हुआ कि भीतरी शहर को वाटर बॉडीज यानी जलाशयों से सजाया गया। ब्लू सिटी की स्थापत्य और शिल्प कला से समृद्ध प्राचीन विरासत का पुनरुत्थान कर मुख्यधारा से जोड़ें तो पर्यटन व अन्य माध्यमों से वृहद् आय के स्रोत बनेंगे और आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। जोधपुर का स्मार्ट सिटी बनने का मंत्र ही यह है कि इसमें निहित संभावनाएं तलाशें और तराशें।
-अनु मृदुल
-अनु मृदुल
प्रतिष्ठित आर्किटेक्ट