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IIT Kanpur: धान की फसल 50 सालों से घटा रही भूजल स्तर, आईआईटी की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

locationकानपुरPublished: Jul 07, 2021 01:20:42 pm

IIT Kanpur: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और केंद्रीय भूजल बोर्ड के निर्देशन में आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर राजीव सिन्हा और पीएचडी स्कॉलर्स डॉ. सुनील कुमार जोशी की देखरेख में टीम ने पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर पर अध्ययन किया है।

IIT Kanpur: धान की फसल 50 सालों से घटा रही भूजल स्तर, आईआईटी की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

IIT Kanpur: धान की फसल 50 सालों से घटा रही भूजल स्तर, आईआईटी की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

कानपुर. IIT Kanpur: आईआईटी कानपुर ने धान की फसल को लेकर हैरान करने वाले खुलासा किया है। आईआईटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक धान की फसलों ने भूजल पर बुरा प्रभाव डाला है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 50 सालों से भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर राजीव सिन्हा ने यह शोध किया है। उन्होंने अपने शोध में बताया है कि अगर जल्द भूजल प्रबंधन के लिए उचित रणनीति तैयार नहीं की गई तो स्थिति बेकाबू हो जाएगी।
आईआईटी के वैज्ञानिकों ने किया शोध

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और केंद्रीय भूजल बोर्ड के निर्देशन में आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर राजीव सिन्हा और पीएचडी स्कॉलर्स डॉ. सुनील कुमार जोशी की देखरेख में टीम ने पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर पर अध्ययन किया है। प्रोफेसर सिन्हा ने बताया कि हरियाणा में धान की खेती का क्षेत्र साल 1966-67 में 192,000 हेक्टेयर था, जो साल 2017-18 में बढ़कर 1422,000 हेक्टेयर पहुंच गया। इसी तरह पंजाब में धान का क्षेत्र साल 1966-67 में 227,000 हेक्टेयर था, जो साल 2017-18 में बढ़कर 3064,000 हेक्टेयर पर पहुंच गया।
यहां के भूजल स्तर में सबसे ज्यादा गिरावट

रिपोर्ट के मुताबिक अब कृषि मांग को पूरा करने के लिए भूजल का तेजी से अवशोषण किया जा रहा है। सबसे ज्यादा गिरावट कुरुक्षेत्र, पटियाला, फतेहाबाद जिले, पानीपत और करनाल में हुआ है। प्रोफेसर सिन्हा के मुताबिक यह हालत सिर्फ पंजाब और हरियाणा में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा किनारे वाले जिलों का भी है। प्रोफेसर सिन्हा ने अपनी रिपोर्ट के बाद यह सुझाव भी दिया कि भूजल के बजाए सिंचाई के दूसरे साधनों का उपयोग बढ़ाया जाए। जैसे वर्षा का जल संचयन किया जाए, तो भूजल स्तर को गिरने से बचाया जा सकता है। अन्यथा अभी की तरह अगर काम चलता रहा आने वाले दिनों में परिणाम खतरनाक होंगे।
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