
this reason will make padmavat blockbuster
ऐसे में जबकि 25 जनवरी को जब पद्मावत देशभर में रिलीज हो रही है, राजपूत करणी सेना, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना, हिन्दू युवा वाहिनी एवं अन्य संगठनों ने विरोध तेज करने की धमकी दी हैं। कुछ स्थानों पर शिकायतें आई हैं, जबकि करनी सेना के पदाधिकारियों को दिल्ली में इस फिल्म को दिखाए जाने की खबरों के बाद यह स्थिति संभल जानी थी।
राजस्थान में करणी सेना के पदाधिकारी शिवराम सिंह फतेहपुर, सोनू सिंह महौली, अन्नू बना, प्रदेश महासचिव करणी सेना अनुराग पाल, पूर्वयुवा मोर्चा अध्यक्ष उत्तम सिंह एवं शिभम सिंह, हिन्दू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र मुद्गल ने कह रहे हैं कि यदि केन्द्र सरकार तत्काल ही भंसाली की फिल्म रिलीज पर रोक का आदेश पारित नहीं करती है तो प्रदर्शन हिंसक भी हो सकता है। राजपूत पद्मावती को डांस करते हुए बर्दाश्त नहीं करेंगे। करौली में बुधवार सुबह भारी संख्या में समर्थक फिल्म का विरोध करने त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम पर एकत्रित हुए। बताया कि पूरे राजस्थान में ऐसा विरोध होगा कि सिनेमाघरों के मालिक फिल्म नहीं चला पाएंगे।''
पद्मवत पर पलपल की खबरें देते हुए पत्रिका डॉट कॉम अब आपको बताएगा कि एक दिसंबर के बाद संजय लीला भंसाली की ये फिल्म 25 जनवरी को ही रिलीज न होकर 24 को ही क्यों सिनेमाघरों में आ गई और क्या एडिटिंग इसमें राजपूतों के विरोध दर्ज कराने के बाद की गई?
संवाद सूत्रों के मुताबिक, करणी सेना के पदाधिकारियों ने नोएडा में बीते कल ये फिल्म देखी। ज्यादातर लोगों ने माना कि फिल्म व सांग में एडिटिंग के बाद काफी सुधार कर दिए गए हैं। हालांकि, जिन 40 दृश्यों पर आपत्ति गिनाई गई, उनमें से टीम भंसाली बदलाव नहीं कर रही। बता दें कि, कालवी व राजस्थान में कई राजपूत संगठनों के पदाधिकारी कह चुके हैं फिल्म का विरोध तो होगा, भले ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया हो।''
हालांकि, देर रात्रि करणी सेना के कई अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष नेतृत्व का रूख कुछ भी हो सकता है। फिल्म देखी गई... राजपूतों की काफी अच्छी बातें भी इसमें हैं।' वहीं कुछ लोगों ने कहा कि ये सिनेमाघरों में बुकिंग बहुत करा रही है। कई वेबसाइटों पर पद्मावत के लिए शो बुक करने की सुविधा मौजूद है।
राजपूतों की नाराजगी कम करने क्या हुए बदलाव?
कई जर्नलिस्ट्स ने भी फिल्म देखी। पाया कि इस फिल्म में वो कई एलिमेंट थे जिनसे राजपूत समुदायों को नाराजगी हो सकती थी। मगर, फिल्म राजपूतों की आन बान शान पर चर्चा करती है। अलाउद्दीन खिलजी को बढ़ा—चढ़ा कर दिखाया है तो भी वह विलेन ही है इसमें। आपत्तिजनक दृश्य उस पार्ट को बताया गया है जिसमें इतिहास का वो किस्सा है जो राजपूतों की हार का जिक्र करता है कि खिलजी ने कुछ ही रातों में राजपूतों को करारी हार दे डाली।
इस मूवी की कहानी के अनुसार, मेवाड़ के राजा महारावल रतन सिंह की हार की ही रानी पद्मावती का जौहर एक साहसिक कर्तव्य दर्शाती है। वो जौहर एक हार के कारण किया गया था और खिलजी से हुआ युद्ध एक ऐसी हार थी जो अपमानित करती है। पद्मावत के साथ संजय लीला भंसाली ने उस पुराने जख्म को कुरेद दिया था। फिल्म में सुल्तान ए हिन्द अलाउद्दीन खिलजी के सामने एक एक करके शहीद होते राजपूत सैनिकों की कहानी कोई भी राजपूत याद नहीं करना चाहेगा।
हालांकि इस फिल्म की कहानी सिंपल है, खिलजी सल्तनत में अलाउद्दीन अपने चाचा ससुर जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर गद्दी पर बैठता है। वहीं सिंगला की राजकुमारी पद्मावती को अपनी दूसरी रानी बना कर महारावल रतन सिंह चित्तौड़ ले आते हैं। महारावल के गुरु पद्मावती पर आसक्त हो जाते हैं जिसके चलते पद्मावती के सुझाव पर रतन सिंह उन्हें देश निकाला दे देते हैं। अपमानित राजगुरु चित्तौड़ की बर्बादी की शपथ लेता है और सनकी सुल्तान अलाउद्दीन को पद्मावती के रूप के किस्से सुना कर मोहित कर देता है। इसके बाद शुरू होती है वो जंग जो पद्मावती के जौहर के साथ खत्म होती है। मगर देखने लायक ये भी है कि इस बीच खिलजी-महारावल-पद्मावती के बीच की राजनीतिक खींचतान को जिस तरह दिखाया गया है वो काबिले तारीफ हैं।
सबसे धांसू सीन ये बताया गया है
राजपूत दर्शकों कृष्ण सिंह राजपूत व नरेंद्र तोमर ने बताया कि इस फिल्म का एक दृश्य जो आपको ताली बजाने पर मजबूर कर सकता है, वो है महारावल के सेनापति गोरा सिंह की मौत का दृश्य। कैसे सिर कटने के बाद भी उसका धड़ लड़ता रहता है, ये कमाल का सीन है। दर्शक इस पर वीरता का नारा लगा देंगे।'' उन्होंने ये भी कहा कि करीबी लोग कह रहे हैं कि फिल्म की पटकथा तो जयपुर में भंसाली के सेट से छेडछाड़ के बाद ही संभाल—संभालकर तैयार हुई थी। कुछ दृश्य अब रिलीज से पहले एडिट करने पड़े।''
Updated on:
24 Jan 2018 12:14 pm
Published on:
24 Jan 2018 01:05 am
बड़ी खबरें
View Allकरौली
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
