कटनी. जिले में यदि प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली जल्द ही हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) तैयार करने की एक बड़ी पहल होगी। दिल्ली स्थित होम रे एसपीवी एशिया लिमिटेड कंपनी द्वारा जिले में पराली, भूसा और बांस जैसे जैविक कचरे से बायोमास तैयार करने के लिए ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए कंपनी ने प्रशासन से लगभग 500 एकड़ जमीन की मांग की है, जहां वह बायोमास उत्पादन के लिए प्लांट लगाएगी। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 18 करोड़ रुपये बताई है। प्रस्ताव में प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा की गई है, जिससे भूमि अधिग्रहण, किसानों से अनुबंध और अन्य आवश्यक कानूनी सहायताएं सरल और शीघ्र हो सकें।
29 अप्रेल को कंपनी ने कलेक्टर को प्रस्ताव सौंपा है। इसके बाद 16 मई को डिप्टी कलेक्टर ने नजूल विभाग और कृषि विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह प्रस्ताव मध्यप्रदेश में इंदौर इंडस्ट्री मीट में केंद्रीय मंत्रालयों व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुशंसा के अनुरूप प्रस्तुत किया गया है। भारतलाल नामदेव, अधिकृत प्रतिनिधि। इस संबंध में प्रशासन को प्रस्ताव दिया गया है। यदि सरकार शीघ्र जगह दे देती है तो बांस बनाकर प्लांटेशन करते हुए प्लांट लगाकर आवश्यक कार्रवाई कराई जाएगी।
कंपनी की योजना है कि वह पराली और भूसा किसानों से 1 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदेगी। साथ ही बांस उत्पादन के लिए स्थानीय किसानों से 500 एकड़ भूमि पर ग्रीन मैन्योर और बांस रोपण के लिए अनुबंध किया जाएगा। इससे किसानों को स्थायी आय और रोजगार प्राप्त होगा।
पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने में यह परियोजना सहायक सिद्ध होगी। कंपनी का कहना है कि पराली जलाना हवा को जहरीला करता है और मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है। इस ग्रीन एनर्जी प्लांट के माध्यम से न केवल वायु प्रदूषण कम होगा, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी मिलेगी।
कंपनी ने यह भी कहा कि यदि प्रशासन भूमि पट्टे अथवा लीज में मदद करता है तो वह स्थानीय आदिवासियों से 40 वर्षों का अनुबंध कर बांस रोपण और जैविक खाद उत्पादन में उन्हें रोजगार दे सकती है। इससे इन परिवारों का पलायन रुकेगा और स्थानीय स्तर पर सतत विकास संभव होगा।
बायोमास जैविक पदार्थों (जैसे पराली, भूसा, लकड़ी, बांस, कचरा आदि) से तैयार की जाने वाली ऊर्जा का स्रोत है। इसे जलाकर बिजली, हीट या बायोफ्यूल तैयार किया जाता है। यह पारंपरिक कोयले और डीजल का हरित (इको-फ्रेंडली) विकल्प है। बायोमास को जलाकर टरबाइन चलाने के लिए भाप बनाई जाती है, जिससे बिजली बनाई जाती है।
रसोई गैस: ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमास से बायोगैस तैयार कर खाना पकाने में प्रयोग किया जाता है।
उद्योगों में: उद्योग बायोमास आधारित बॉयलर का उपयोग भाप उत्पादन व अन्य प्रक्रियाओं में करते हैं।
बायोफ्यूल: बायोमास से एथेनॉल/बायोडीजल तैयार कर वाहनों में प्रयोग किया जा सकता है।
पर्यावरणीय लाभ: पराली और भूसा जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण में भारी कमी आएगी। बायोमास कार्बन न्यूट्रल है, इसलिए यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करता। अपशिष्ट पदार्थों का पुन: उपयोग होने से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
किसानों को आर्थिक लाभ: पराली, भूसा और खरपतवार को अब फेंकना नहीं पड़ेगा, बल्कि उसे 1 प्रति किलो की दर से कंपनी खरीदेगी। बांस व जैविक खाद उत्पादन के लिए अनुबंधित खेती से किसानों को नियमित आमदनी होगी।
स्थानीय रोजगार और पलायन पर रोक: बायोमास प्लांट में निर्माण, संचालन, बांस रोपण और कचरा एकत्रण जैसे कार्यों के लिए सैकड़ों स्थानीय युवाओं को रोजग़ार मिलेगा। आदिवासी और ग्रामीण परिवारों को 40 वर्षों तक नियमित आय मिलेगी, जिससे उनका पलायन रुकेगा।
दीर्घकालिक ऊर्जा समाधान: यह प्लांट एक स्थायी, नवीकरणीय और देशी ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराएगा, जिससे देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
दिलीप यादव, कलेक्टर ने कहा कि ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए यह बेहतर प्रस्ताव है। इस संबंध में कंपनी के प्रतिनिधियों की बैठक कर शीघ्र ही इस दिशा में उचित निर्णय लिया जाएगा। बायोमास तैयार होने से किसानों को फायदा पहुंचेगा, प्रदूषण भी कम होगा।
Updated on:
09 Jun 2025 07:56 pm
Published on:
09 Jun 2025 07:55 pm