इन गांवों में है समस्या
किसानों ने बताया इस तरह का रोग बहोरीबंद क्षेत्र में अधिक है। क्षेत्र के कजरवारा, कूडऩ, पटी, डुडसरा, नीम खेडा, मोहनिया में इस रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। किसानों में रामेश्वर प्रसाद बाजपेई, मुकेश पाठक, राजेंद्र मिश्रा, प्रदीप विश्वकर्मा, संदीप विश्वकर्मा, तोलाराम विश्वकर्मा, रवि यादव सहित अन्य किसानों ने बताया यदि समय रहते प्रशासन द्वारा मदद नहीं की गई तो किसानों की फसलें बर्बाद हो जाएंगी। किसानों ने कृषि अधिकारियों से निरीक्षण कर फसल बचाव के लिए उपाय बताए जाने मांग की है।
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अधिकारी नहीं दे रहे रुचि
किसानों का कहना है कि यदि मौसम के परिवर्तन से फसलों में किसी प्रकार का रोग लगता है या फिर कोई दिक्कत होती है तो कृषि अधिकारी समय-समय पर आकर सम-समायिक जानकारी पूर्व में देते रहे हैं, लेकिन अब ध्यान नहीं देते। वहीं इस पूरे मामले में प्रभारी उप संचालक कृषि केएल कोष्ठा का कहना है कि किसान अपने-अपने खेतों से पौधा कार्यालय भिजवा दें तो उसकी जांच जरुर करा देते हैं। बगैर देखे कोई बात नहीं कही जा सकती।
इनका कहना है
कभी-कभी पानी ज्यादा भरा रहने से यह रोग होता है। सल्फेड की कमी से भी खैरा रोग लगता है। इसको दिखवाया जाएगा। किसान यदि एसडीओ कार्यालय में पौधे जमा करा दें तो उसकी जांच करा दें या फिर कोशिश रहेगी की इन गांवों में जाकर टीम निरीक्षण करे और पता लगाए कि किसानों को क्या समस्या है।
केएल कोष्ठा, प्रभारी उपसंचालक कृषि।