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रेडी टू ईट के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार, महिला समूह को काम देने अधिकारियों का बड़ा खेल

बड़े पैमाने पर रेडी टू ईट के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है। इसकी भनक तक लोगों को नहीं लग पाती है।

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रेडी टू ईट के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार, महिला समूह को काम देने अधिकारियों का बड़ा खेल

कवर्धा . छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में बड़े पैमाने पर रेडी टू ईट के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है। इसकी भनक तक लोगों को नहीं लग पाती है। महिला समूह को काम देने के एवज में बड़ा खेल होता है। वहीं महिला समूह भी इस खेल में माहिर को चुके हैं।

गर्भवति महिलाओं व आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को पोषण आहार देने की योजना है। इन बच्चों व महिलाओं के लिए महिला समूह रेडी टू ईट का निर्माण करती है । लेकिन महिला समूहों को अधिकारी अपने हिसाब से बदल देते हैं। पिछले वर्ष महिला बाल विकास व कार्यक्रम अधिकारी द्वारा रेडी टू ईट के लिए महिला समूह को ठेका दिया गया था, लेकिन इस बार नए अधिकारी हैं तो फिर से निविदा निकालकर काम देने की तैयारी की जा रही है। इस बार जिले के 13 सेक्टरों में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा रेडी टू ईट बनाने के लिए महिला समूहों से आवेदन मंगवाया गया, जो विवादों में फंसने लगा है। क्योंकि इसमें पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है।

रेडी टू ईट के ठेका लेने के लिए महिला समूहों ने आवेदन किया। इसके बाद सुपरवाईजर के माध्यम से सत्यापन करने गांव पहुंचना था। कुल १०० अंक पाने के लिए महिला समूहों ने तैयारी की थी। लेकिन सुपरवाईजर बिना सूचना दिए महिला समूहों के गांव पहुंच गए। जबकि अपने चहेते कुछ समूह को पहले से सूचना देकर पहुंचे, ताकि वह सारी तैयारी कर सके। इस प्रकार अंक देने के लिए अधिकारियों द्वारा खेल खेला जाता है।

शुक्रवार 10 अगस्त को दावा आपत्ति का अंतिम दिन था। कई महिला समूह पहुंची और अधिकारियों पर कई तरह के आरोप लगाए। आरोपों में घिरते हुए महिला एवं बाल विकास के अधिकारी सत्यापन की अवधि १५ दिन बढ़ा दिए। वहीं सत्यापन के लिए ३ दिन पूर्व महिला समूह को सूचना देने की बात कही गई।

महिला समूह पूरी ताकत लगाकर रेडी टू ईट का काम ले रही है क्योंकि इसमें अधिक कमाई है। इसके लिए जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक फोन लगाते हैं तब जाकर महिला समूह को काम मिलता है। इसका फायदा महिला समूह इस प्रकार उठाती है। महिला समूह में केवल अध्यक्ष व सचिव काम करती है। रेडी टू ईट बनाने रोजी में महिलाएं बुलाई जाती है। वहीं मिलावट का खेल भी जमकर चलता है। अधिकतर काम पति करते हैं। इससे वे क्वालिटी पर ध्यान नहीं देते। रोजी में महिलाओं से काम कराया जाता है।