विशेषज्ञों के सामने श्रमिकों ने रखा पक्ष पिछले महीनों में कंपनी के अधिकारी , अध्यक्ष, संचालक और मानव संसाधन प्रमुख कानूनी तज्ञ (विशेषज्ञ) ने चर्चा की। प्रबंधन ने कहा वीआरएस की राशि 3 लाख से 5 लाख ले लीजिए या दोनों कंपनी एक रुपए में श्रमिकों को चलाने देंगे। पाटकर ने कहा हमारे साथ बहुतांश सभी श्रमिक और आधे कर्मचारी जुड़कर विशेषज्ञों की सलाह मशीनरी और संपदा का अध्ययन करने के साथ ही चार बार इंदौर और दो बार मुंबई में चर्चा करने पहुंचे। मजदूरों ने निर्णय संकल्प लिया वीआरएस नहीं रोजगार चाहिए। तब हमारे साथ हर चर्चा में गवाह रहे। एआईटीयूसी एनटीयूसी और सेंचुरी कामगार कामगार एकता यूनियन के चंद लोगों ने सेंचुरी कंपनी को पत्र लिखकर कहा हमें वीआरएस चाहिए। ट्रिब्यूनल के सामने भी मतभेद आए तो हमारी श्रमिक जनता संघ के सेंचुरी के 90 प्रतिशत श्रमिकों ने सदस्यता ग्रहण की ओर कंपनी के प्रबंधन ने यूनियन के यानी चंद श्रमिकों के पत्र को गलत आधार बनाकर श्रमिकों की संख्या को मिल देने से इनकार किया
चार सालों से जारी आंदोलन मिल प्रबंधन के खिलाफ श्रमिकों ने अपनी मांगों को लेकर अक्टूबर 2017 से आंदोलन शुरु किया था, जो अब तक जारी है। पाटकर सहित श्रमिकों ने बताया कि चारों यूनियन में भारतीय मजदूर संघ भी शामिल है। 10 प्रतिशत भी श्रमिक सदस्य ना होते हुए वे वीआरएस मांग रहे जबकि उन्हें ट्रेड यूनियन एक्ट के अनुसार श्रमिकों को प्रतिनिधित्व करने का अधिकार भी नहीं है । श्रमिकों द्वारा अपनी जिंदगी के 20-25 साल कंपनी काम करने के बाद वह 3 से 5 लाख लेकर क्या जीवन चला सकते है। कंपनी मैनेजमेंट द्वारा श्रमिकों को वीआरएस लेने के लिए 13 जुलाई की समय सीमा रखकर नोटिस लगाए है। जिसके खिलाफ सत्याग्रह जारी है जारी रहेगा ।
वीआरएस दिया… औद्योगिक विवाद अधिनियम का पालन करते हुए वीआरएस दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश है कंपनी अगर घाटे में है तो कंपनी बेच सकते हैं। श्रमिक भी इसका पालन करें। औद्योगिक अधिनियम में प्रावधान दे रखा है। तीन महीने का छटनी और 15 दिन का मुआवजा दे सकते हैं।
अनिल दुबे, कंपनी अधिकारी सेंचुरी