बांग्लादेश अपनी हिंदू विरासत से कैसे कर सकता है इंकार, बोलीं क्वांटिको की सहलेखिका
अमरीका में रहने वाली बांग्लादेशी ( Bangladesh) मूल की लेखिका शरबरी जोहरा अहमद (Sharbari Zohra Ahmed) का ताजा बयान विवादों को जन्म दे सकता है। अमरीका में ही पली बढ़ीं जोहरा मानती हैं कि बांग्लादेश अपनी हिंदू विरासत से चाह कर भी इंकार नहीं कर सकता है।

कोलकाता .
अमेरिका में रहने वाली बांग्लादेशी लेखिका शरबरी जोहरा अहमद मानती हैं कि मूल रूप से हिदू होने की वजह से बांग्लादेशी सामान्य भारतीयों की तरह ही हैं। उनका यह भी मानना है कि बांग्लादेश अपनी हिंदू विरासत से कैसे इंकार कर सकता है। एक न्यूज एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में वे कहती हैं कि हम मूल रूप से हिदू थे। बांग्लादेश में इस्लाम बाद में आया। अब ज्यादातर बांग्लादेशी अपनी जड़ों को भूल चुके हैं। शरबरी जोहरा ढाका में जन्मी थी, तीन सप्ताह की उम्र में ही उनका परिवार अमेरिका में शिफ्ट हो गया था। वे अमेरिका के लोकप्रिय टेलीविजन शो क्वांटिको की पटकथा की सहलेखिका हैं।
लेखिका के मुताबिक वे इस बात से दुखी हैं कि दक्षिणपंथी धार्मिक समूहों के प्रभाव की वजह से एक बंगाली के तौर पर उनकी पहचान बांग्लादेश में खोती जा रही है।
अंग्रेजो ने किया हमारा उत्पीडऩ
बांग्लादेश मूल की लेखिका शरबरी ने कहा, अंग्रेजों ने हमारा शोषण किया। हमारा बहुत कुछ छीना और हमारे लोगों की हत्याएं की। अविभाजित भारत के ढाका में समृद्ध मलमल उद्योग को अंग्रेजों ने बर्बाद कर दिया। उनकी आस्था के सवाल और बांग्लादेश में पहचान के मुद्दे ने ही उनको डस्ट अंडर हर फीट उपन्यास लिखने की प्रेरणा प्रदान की।
पहले भी हुआ था विवाद
इससे पहले क्वांटिको के एक एपीसोड में हिंदुओं को आतंकवादी दिखाए जाने पर विवाद खड़ा हुआ था। उस समय सोशल मीडिया में शरबरी पर छींटाकशी की गई थी। उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि सिरीज के विवादित एपीसोड की पटकथा से उनका कोई संबंध नहीं था। उन्होंने छींटाकशी करने वालों को संबंधित एपीसोड के क्रेडिट देखने की सलाह दी थी।
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