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एक फिल्म जो बनी राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बीच पर्यटन दूत

सोनार केल्ला ने किया स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश, सत्यजीत राय की फिल्म ने बंगाली पर्यटकों में बढ़ाया राजस्थान का आकर्षण

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एक फिल्म जो बनी राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बीच पर्यटन दूत

एक फिल्म जो बनी राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बीच पर्यटन दूत

विनीत शर्मा


कोलकाता. सिनेमा भी पर्यटन दूत बन सकता है, सत्यजित राय की फिल्म सोनार केल्ला ने इसे साबित कर दिया है। वर्ष 1974 की 27 दिसंबर को रिलीज हुई सोनार केल्ला ने जैसलमेर के सोनार किले को पर्यटन मानचित्र के शीर्ष पर ला दिया। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल और राजस्थान के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक गठजोड़ का जो ताना-बाना बुना था, सत्यजित राय की सोनार केल्ला ने उसे और आगे बढ़ाया। 27 दिसंबर को फिल्म अपनी रिलीज के स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रही है। भारतीय सिनेमा में जासूसी जॉनर उस समय अनछुआ क्षेत्र था। 'सोनार केल्ला' के माध्यम से राय ने रहस्य शैली में कथा बांचने का काम बखूबी किया।


जैसलमेर के सोनार किला का आकर्षण फिल्मकार सत्यजित राय को पश्चिम बंगाल से राजस्थान तक खींच ले गया था। इसे उन्होंने सेल्यूलाइड पर उतारा तो पश्चिम बंगाल के पर्यटन प्रेमियों ने सोनार किला को हाथोंहाथ लिया। उसे देखने के लिए पश्चिम बंगाल के लोगों में होड़ मच गई। फिल्म में उन्होंने जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और पोखरण व रामदेवरा जैसे राजस्थान के अन्य पर्यटन स्थलों की भी ब्रांडिंग की है। आंकड़े बताते हैं कि फिल्म की रिलीज के बाद पश्चिम बंगाल से राजस्थान जाने वाले पर्यटकों की संख्या में तो इजाफा हुआ ही, जैसलमेर जाने वालों का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ा।

अनछुआ पहलू थी जासूसी शैली

अपनी फिल्मों के जरिए रे ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को पुख्ता तौर पर बार-बार यह याद दिलाया कि सिनेमाई समझ में भारतीय दुनिया के किसी भी फिल्मकार से कमतर कतई नहीं हैं। अपनी हर फिल्म में उन्होंने इसे पुख्ता तौर पर साबित किया। सोनार केल्ला की रिलीज से पहले भारतीय सिनेमा में जासूसी शैली अनछुआ पहलू थी। राय का करिश्मा है कि कोई भी सिनेफाइल जो क्लैसिकल जासूसी जॉनर का शौक रखता है, सोनार केल्ला देखने के बाद उनका मुरीद हो गया।

हिंदी में डब होगी सोनार केल्ला

सिनेमा की हालांकि कोई भाषा नहीं होती और मूक फिल्मों के दौर में भी लोगाें में सिनेमा का जबरदस्त क्रेज था। इसके बावजूद राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कई फिल्मों को विभिन्न भाषाओं में डब कर रिलीज किया जाता रहा है। इन दिनों दक्षिण की कई फिल्में हिंदी में डब की जा रही हैं। अब सोनार केल्ला को भी हिंदी में डब कर प्रदर्शित करने की योजना पर काम शुरू हुआ है। सोनार केल्ला के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में कोलकाता राजस्थान सांस्कृतिक विकास परिषद की ओर से पिछले दिनों आयोजित कार्यक्रम में फिल्म को हिंदी में डब कराने की मांग उठी थी। कार्यक्रम में उपस्थित जादवपुर विश्वविद्यालय में फिल्म स्टडीज विभाग के पूर्व प्रोफेसर संजय मुखोपाध्याय ने आश्वस्त किया कि इस दिशा में काम किया जाएगा। परिषद के महासचिव केशव भट्टड़ ने बताया कि इसके लिए कमेटी गठित की गई है। साथ ही सोनार किले में सत्यजीत राय की प्रतिमा स्थापित कराने के लिए राजस्थान सरकार को प्रस्ताव भेजने पर भी सहमति बनी।