
WEST BENGAL SHIVRATRI 2024-महाशिवरात्रि पर मन्दिरों में चलेगा पूजा अर्चना का दौर
महाशिवरात्रि के लिए भू कैलाश, भूतनाथ, आदि भूतनाथ, तालाब बाड़ी महादेव, रामेश्वर नाथ महादेव, जबरेश्वर महादेव, काशीनाथ महादेव मन्दिर सहित सभी छोटे बड़े शिव मंदिर तैयार है। आयोजन से जुड़ी सभी तैयारियां देर रात तक पूरी कर ली गई। शिव आराधना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि का त्यौहार शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस अवसर पर जहां मन्दिरों में विविध कार्यक्रम होंगे वहीं घरों में भी अनुष्ठान संपन्न होंगे। महात्मा गांधी रोड़ स्थित तालाब बाड़ी महादेव मंदिर के पुजारी कमलेश दवे ने बताया कि इस अवसर पर होने वाले कई कार्यक्रमों में महाशिवरात्रि की रात चार पूजा विशेष कार्यक्रम होगा। इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए मन्दिर पूरा दिन और पूरी रात खुला रहेगा। वहीं शनिवार के दिन दोनों समय भोले का बड़ा श्रृंगार होगा। दवे ने बताया कि हर साल की तरह शिवरात्रि के दूसरे दिन भण्डारा का कार्यक्रम होगा। काशीनाथ महादेव मन्दिर के पुजारी प्रीतम बरुई ने बताया कि पहली पूजा चार बजे होगी। उसके बाद विविध कार्यक्रम होंगे।
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बनेगा दुर्लभ योग
बतौर पण्डित उमाकांत शास्त्री इस साल महाशिवरात्रि पर एक शुभ योग बन रहा है। उन्होंने बताया कि शिव योग, स्वार्थसिद्धि योग, सिद्ध योग के साथ श्रवण नक्षत्र भी होगा। विद्वानों के अनुसार ऐसा शुभ योग का संयोग लगभग तीन सौ साल बाद बना है।
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क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि
शिवरात्रि का अर्थ है शिव की रात। पौराणिक कथाओं और विभिन्न मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि कई कारणों से विशेष महत्व रखती है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था और इसीलिए यह दिन शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक माना जाता है। एक धारणा यह भी है कि इस दिन महादेव ने वैराग्य जीवन छोड़ गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव भक्त महाशिवरात्रि के दिन पूजन और व्रत करके इस उत्सव को मनाते हैं।शास्त्र के अनुसार हर सोमवार का दिन भोलेनाथ की पूजा के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है परन्तु फाल्गुन माह में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है।ऐसे करें शिवलिंग का अभिषेकपण्डित सुरेश महाराज के अनुसार इस विशेष अवसर पर पूजा अर्चना और जलाभिषेक के अलावा रुद्राभिषेक का भी खास महत्व होता है। उन्होंने बताया कि किसी भी पूजा की शास्त्र सम्मत एक विशेष विधि होती है। यदि विधि विधान से पूजन किया जाए तो भगवान जल्द प्रसन्न होकर विशेष फल प्रदान करते हैं। ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि से निवृत होकर सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद मंदिर या घर में दही, दूध, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए। इसके बाद अक्षत, मोली, चंदन, बिल्वपत्र, सुपारी, पान, फल, फूल और नारियल समेत विशेष चीजें अर्पित कर घी का दीपक जलाकर महादेव की आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें। अंत में भगवान शिव को फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाकर प्रसाद का वितरण करना चाहिए।
Published on:
08 Mar 2024 06:07 pm
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