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WEST BENGAL WOMAN DAY 2024-सृष्टि की धुरी है नारी

महिला दिवस पर परिचर्चा, बोली महिलाएं, आवश्यकता और संस्कृति के बीच सामंजस्य जरूरी

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WEST BENGAL WOMAN DAY 2024-सृष्टि की धुरी है नारी

WEST BENGAL WOMAN DAY 2024-सृष्टि की धुरी है नारी

महिला ही सृष्टि की धुरी है। महिला सशक्तिकरण के लिए महिला का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। यदि महिला शिक्षित होगी तो वह परिवार के साथ समाज और देश के लिए भी काम करेगी। आवश्यकता और संस्कृति के बीच सामंजस्य जरूरी है। महिला दिवस पर शुक्रवार को पत्रिका के सााथ परिचर्चा में पारीक सभा महिला समिति की सदस्यों ने यह बात कही। पारीक सभा में शुरुआत समिति की संस्थापिका मार्गदर्शक दुर्गा व्यास ने की। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं केवल परिवार तक ही सीमित नहीं बल्कि समाज के लिए भी कार्य कर रही है।

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बेटा-बेटी का भेद आज खत्म

बेटा-बेटी का भेद आज खत्म हो रहा। व्यास ने कहा कि जहां तक संस्कार की बात है तो वे हमें ही देने होंगे। सजा देकर किसी को रोका नही जा सकता। बच्चों को संस्कारी बनाएंगे तो बाहर भी उनका व्यवहार अच्छा रहेगा और नारी सुरक्षा के लिए सरकार पर निर्भरता भी काफी हद तक कम हो जाएगी। अध्यक्ष संपत जोशी ने कहा कि आज महिलाएं सामाजिक कार्यों में भी बढ़ चढ़ कर योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि समिति की महिलाएं कई सामाजिक आयोजन कर रही है जिसमें पारीक सभा के सभी पुरुष सदस्यों का भी सहयोग मिलता है।

---शिक्षा बेहद आवश्यक

उपाध्यक्ष कृष्णा पारीक ने कहा कि नारी का शिक्षित होना बहुत जरूरी है वह शिक्षित होगी तो समाज और देश की भी उन्नति होगी। उन्होंने कहा कि आज अनेक मल्टीनेशनल कंपनियों में उच्च पदस्थ परमहिलाएं कार्यभार संभाल रही है। व्यवसाय के क्षेत्र में भी वे पीछे नहीं हैं। अपनी सफलता के परचम लहरा रही है। कृष्णा ने कहा कि सरकार को नारी सशक्तिकरण की दिशा में और अधिक सहयोग करना चाहिए। मंत्री मंजू जोशी ने कहा कि नारी सशक्तिकरण के लिए समाज तथा परिवार की अहम भूमिका होती है। महिला के पति का दायित्व है कि वह हर अच्छे कदम पर साथ दे।

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सभी का हो सहयोग

जब तक सभी का पूर्ण सहयोग नहीं मिलेगा तब यह सपना अधूरा ही रहेगा। रुचि तिवारी ने कहा कि ऐसा नही है कि विवाह अनावश्यक है। लेकिन जब बिटिया के सपने पूरे हो जाये तब उसका विवाह करना चाहिए इससे उसका आत्मसम्मान बढ़ेगा। मार्गदर्शक विजया पारीक ने कहा कि महिला को अपने अपरिवार के साथ समाज और देश के लिए भी काम करना चाहिए। हमारी संस्कृति और आवश्यकता दोनों अलग है। इस दौरान नीलम पुरोहित, शर्मिला शर्मा आदि ने भी अपनी राय साझा की।