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WEST BENGAL SHYAM MANDIR ALAMBAJAR 2024खाटू नरेश के चमत्कारों की पावन धराभूमि है श्याम मंदिर आलमबाजार

असंख्य श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र, तीर्थस्थान दक्षिणेश्वर के समीप सूर्यसेन रोड स्थित मंदिर

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WEST BENGAL SHYAM MANDIR ALAMBAJAR 2024खाटू नरेश के चमत्कारों की पावन धराभूमि है श्याम मंदिर आलमबाजार

WEST BENGAL SHYAM MANDIR ALAMBAJAR 2024खाटू नरेश के चमत्कारों की पावन धराभूमि है श्याम मंदिर आलमबाजार

. ....अखंड ज्योति है अपार माया, श्याम देव की परबल छाया। पूर्वी भारत में आज श्याम भक्तों के लिए पावन खाटूधाम के रूप में परिणत श्रीश्याम मंदिर आलमबाजार इसके चमत्कारों और भारी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास को प्रमाणित करता है। आज यह मंदिर असंख्य श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन गया है। तीर्थस्थान दक्षिणेश्वर के समीप सूर्यसेन रोड स्थित श्रीश्याम मंदिर आलमबाजार के निर्माण अंतगर्त बाबा श्याम के विराजमान होने के बाद से अबतक इस अंचल में भारी बदलाव आया है। जिसमें सडक़ मार्ग, दक्षिणेश्वर मेट्रो, एयरपोर्ट आदि सुविधाओं का विकास हुआ है। श्रीश्याम मंदिर आलमबाजार के सचिव व ट्रस्टी गोविंद मुरारी अग्रवाल ने पत्रिका से खास बातचीत में यह जानकारी दी। अग्रवाल को खुद खाटूनरेश श्यामबाबा ने आलमबाजार में उन्हें विराजमान कर भव्य विशाल मंदिर निर्माण के लिए उनके दिल में इच्छा जगाई। बचपन से ही इनका बाबा के प्रति रूझान और भारी विश्वास रहा है।

---आलमबाजार से सालासर हनुमानजी 82 दिन की पैदल यात्रा

इन्होंने कोलकाता से खाटूधाम की पैदल यात्रा भी कर बाबा के प्रति विश्वास का परिचय दे चुके हैं। खुद भी आलमबाजार से सालासर हनुमानजी 82 दिन की पैदल यात्रा करवाई थी। जिस स्थान पर आज मंदिर स्थपित है प्रारंभिक समय में यह भूमि कई साल तक अनुपयोगी थी। इस धरा पर अग्रवाल की नजर पड़ी और मंदिर निर्माण का संकल्प उन्हें बेचैन करने लगा। उन्होंने भूमि खरीदने का बीड़ा उठाया। उन्हें इसमें संस्था के अध्यक्ष व कर्णधार भैरवदत्त खेतान ने सहयोग किया। आखिरकार मंदिर निर्माण के लिए भूमि संस्था के अधीन हो गई। 2008 में भूमि खरीदी गई और अक्षय तृतीया के दिन 16 मई 2010 को भूमि पूजन हुआ। मंदिर निर्माण कर जयपुर से बाबा श्याम का शीश लाया गया और बाबा के खाटू मंदिर में विधिवत पूजा मंत्रोच्चार के साथ कोलकाता लाया गया। उन्होंने कहा कि मंदिर के ट्रस्टी गणेश अग्रवाल की देखरेख में मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न हुआ। श्याम भक्त श्रीचंद्र शर्मा, रींगस मंदिर के महंत बुदरासिंह महाराज व सोहन लाल लोहाकर समेत अनेक ने इस भूमिस्थल को अपने चरण कमलों से पवित्र किया है।

----हर एकादशी को कीर्तन

हर एकादशी को शाम कीर्तन व द्वादशी को धोक लगाने भारी संख्या में भक्तों का संगम होता है। ज्योत के दर्शन से ही भक्तों के संकट कटने लगते हैं। मंदिर का संचालन व विभिन्न धार्मिक सामाजिक कार्यक्रम गठित संस्था आलमबाजार श्रीश्याम ध्वजा मंडल संस्था के तहत होते हैं। संस्था की स्थापना से ही हर एकादशी को श्याम बाबा का कीर्तन नियमित रूप से होता है। मंदिर के स्थायी कार्यक्रम कार्तिक शुक्ल एकादशी को श्याम जन्मोत्सव, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव, फाल्गुन मेला आदि उत्साह से मनाए जाते हैं। धार्मिक आयोजनों के साथ यहां सालभर विभिन्न समाजसेवा मूलक कार्यक्रम होते हैं। जिसमें इसके अलावा सामाजिक सेवा कार्यों में रक्तदान शिविर, कंबल वितरण, साड़ी वितरण, नेत्र-स्वास्थ्य परीक्षण, पेयजल शर्बत सेवा, भंडारा आदि आयोजित होते हैं। रोजानादोनों समय असमर्थ लोगों को भोजन वितरित किए जाते हैं। बारस (द्वादशी) को सारा दिन मंदिर खुला रहता है। मंदिर खुलने का समय सुबह 6 से दोपहर 1 और शाम 4 से रात 9 बजे तक है।

-----5 आरती के साथ ये है खास विशेषता

मंदिर में विराजमान खाटूनरेश के मुखमंडल की खास विशेषता है कि एक स्वरूप में 2 दर्शन दिखाई देते हैं। एक ओर खाटू के बाबा श्याम और दूसरी ओर कृष्ण का मुखमंडल। देश-विदेश के श्रद्धालुओं के साथ प्रदेश के राज्यपाल, मंत्री, सांसद समेत अनेक राजनीतिज्ञ, उद्योगपति आदि ने यहां दर्शन किए हैं। कुल 5 आरती (मंगला, श्रृंगार, भोग, संध्या, शयन) होती है। विभिन्न पर्व-त्योहारों पर खास श्रृंगार होता है। मंदिर से जुड़े श्रद्धालु अपने जन्मदिन के साथ शादी की वर्षगांठ पर बाबा श्याम का श्रृंगार कर पूजा कर खुद को उत्साहित महसूस करते हैँ। मंदिर में चांदी की दीवारों से सुसज्जित बाबा का गर्भगृह तथा दोनों ओर राधाकृष्ण, हनुमान, शिव परिवार के श्रीविग्रह विराजमान हैं।

---राजा अग्रवाल की रही है सेवा में अहम भूमिका

उन्होंने कहा कि अखंड ज्योति पाठ और भजनों से बाबा श्याम को रिझाने वाले राजा अग्रवाल की इस मंदिर की सेवा में अहम भूमिका रही है। उनके व्यवहार से श्याम भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करना भक्तों को प्रेरित करता था। उनका निधन 31 दिसंबर 2022 को हुआ था।