पुलिस ने बताया कि विकास राठौर ढोढ़ीपारा कोरबा में रहता है। वर्ष 2016 में उसकी मुलाकात भिखारीलाल कर्ष के साथ हुई थी। कर्ष ने बताया था कि वह शासकीय कर्मचारी है। उसकी सिंचाई विभाग में अफसरों के बीच अच्छी पकड़ है। उसने विकास राठौर को बताया कि वह सिंचाई विभाग में पटवारी की नौकरी लगवा सकता है। विकास भिखारीलाल के झांसे में आ गया। उसने नौकरी लगाने के लिए कहा। तब भिखारीलाल ने बताया कि 7 लाख रुपए खर्च करने पर वह विकास और उसकी बहन दोनों की नौकरी लगवा सकता है। दोनों के बीच दिसंबर 2016 से फरवरी 2017 के बीच अलग-अलग किस्तों में 7 लाख रुपए का लेनदेन हुआ।
विकास और उसके परिवार ने यह राशि भिखारीलाल को प्रदान किया। कई साल गुजर गए लेकिन विकास की सिंचाई विभाग में नौकरी नहीं लगी तब उसने भिखारीलाल पर पैसे वापसी के लिए दबाव डाला। भिखारीलाल आज-कल में नौकरी होने की बात कहकर टालता रहा। बाद में भिखारीलाल ने बिना तिथि अंकित के ज्वाइनिंग लेटर विकास राठौर को थमा दिया, वह भी लिपिक के पद का।
जब विकास ने भिखारी से बातचीत किया तो पता चला कि अभी पटवारी की भर्ती प्रक्रिया में देरी है इसलिए लिपिक का ज्वाइनिंग लेटर थमाया है। बाद में यह पत्र फर्जी निकला और उसने रूपए लौटाने का वादा किया। 6 लाख रुपए का एक चेक भी विकास को दिया। जिस पर दिनांक नहीं था। एक लाख रुपए ऑनलाइन लौटाने का वादा किया लेकिन रूपए नहीं लौटाया। पुलिस मामले की जांच कर रही थी। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।