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छत्तीसगढ़ की पहली महिला जो बनी कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, जानें पूरी खबर…

Sunday Guest Editor: कोरबा जिले में ऊर्जानगरी कोरबा के एक छोटे से गांव केराकछार तिवरता की रहने वाली संजू यादव आज कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं।

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छत्तीसगढ़ की पहली महिला जो बनी कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी(photo-patrika)

छत्तीसगढ़ की पहली महिला जो बनी कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी(photo-patrika)

Sunday Guest Editor: बसंत कुमार. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में ऊर्जानगरी कोरबा के एक छोटे से गांव केराकछार तिवरता की रहने वाली संजू यादव आज कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। संजू छत्तीसगढ़ की पहली खिलाड़ी हैं, जिन्हें कबड्डी की राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला।

यह संभव हुआ संजू के संघर्ष, लगन और मेहनत से। संजू कहती हैं कि यदि आप किसी काम पर फोकस होकर करते हैं तो आपको उसमें सफलता मिलती ही है। समय का मैनेजमेंट भी आपको फोकस रहने से ही आता है। मैंने समय का सही संतुलन करना अपने घर से ही सीखा और आज उसी के कारण अपने खेल में अच्छा कर रही हूं।

Sunday Guest Editor: हरियाणा में ले रही प्रशिक्षण

संजू के पिता रामजी यादव और मां अमरिका यादव पेशे से किसान हैं। छह-सात वर्ष पहले संजू ने विद्यार्थी जीवन में कबड्डी खेलना शुरू किया था। एक बार गांव तिवरता में कबड्डी की स्पर्धा हो रही थी। इसमें शामिल होने के लिए संजू भी पहुंची थी। संजू के दांव-पेच को देखकर कबड्डी के जिला पदाधिकारी की नजर पड़ी।

उन्होंने संजू के स्थानीय कोच से बात की और संजू को राज्यस्तर की प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। इस पर संजू ने भी हामी भर दी। बस यही संजू के जीवन का टर्निंग पॉइंट था। इसके बाद संजू ने छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर कबड्डी की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।

कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

अभी संजू हरियाणा के सोनीपत में कबड्डी के वर्ल्ड कप में सलेक्शन के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं। यहां संजू के अलावा 24 अन्य खिलाड़ी भी हैं। इनमें से 14 खिलाड़ियों का चयन कबड्डी वर्ल्ड कप के लिए किया जाना है, जो इस साल हैदराबाद में आयोजित होने जा रहा है।

एशियन चैंपियनशिप जीतने वाली संजू का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने के लिए उसे काफी संघर्ष करना पड़ा है। कई बार चोटिल हुई, आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ा। पढ़ाई-लिखाई के लिए परिवार का दबाव भी रहा, लेकिन लगन और धैर्य से संजू ने सभी बाधाओं को दूर किया।

दांव-पेच हैरत वाले

जिसने भी संजू के खेल को देखा सब उसके खेल के दांव-पेच को थोड़ी देर के लिए हैरत में पड़ गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज उसने उस मुकाम को हासिल कर लिया है कि जहां कबड्डी उसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गई है। इसी साल मार्च में संजू ने ईरान में आयोजित एशियन महिला कबड्डी चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें इंडिया की टीम ने गोल्ड मेडल जीता था।