
कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में गठबंधन पर विरोध, उइके के विकल्प में पैनल बनाकर हाइकमान को भेजा गया
कोरबा. रामदयाल उइके के भाजपा प्रवेश के बाद ग्रामीण कांग्रेस की पहली बैठक पाली में रखी गई। बैठक में कार्यकर्ताओं ने दो अहम मुददें पर अपनी सहमति जताई। पहला गोंगपा से गठबंधन ना किया जाए और दूसरा संभावित चेहरों को लेकर कई नाम का पैनल बनाया गया। इसकी रिपोर्ट अब पार्टी हाइकमान को भेज दी गई है। अब तक पाली तानाखार से बेफिक्र कांग्रेस में अब इस सीट के लिए प्रत्याशी को लेकर आपाधापी मची हुई है। रामदयाल उइके के जाने के बाद पार्टी हर मोर्चे पर विचार कर रही है। पिछले कई माह से गोंगपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा चल रही थी। अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। रणनीतिकारों की मानें तो अब गठबंधन की संभावना कम दिख रही है।
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मंगलवार को ग्रामीण कांग्रेस की जिलाध्यक्ष उषा तिवारी की अध्यक्षता में पाली में बैठक रखी गई थी। बैठक में डेढ़ सौ से ज्यादा ब्लॉक स्तर और बूथ स्तर के पदाधिकारी उपस्थित थे। इस बैठक में कार्यकर्ताओं ने तो सबसे पहले उइके के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली। इसके बाद एक स्वर में उइके को चुनाव में चुनौती देने के लिए रणनीति बनाई। गोंगपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर हीरासिंह मरकाम को एकल चेहरा उतारने को लेकर कांग्रेसियों ने विरोध किया।
हमने की है मेहनत
कांग्रेसियों का कहना था कि पांच साल तक क्षेत्र में कार्यकर्ताओं ने मेहनत की है। इसलिए कांग्रेस चुनाव में जरूर उतरे। इसी तरह संभावित प्रत्याशी को लेकर रायशुमारी हुई। दिग्गज आदिवासी नेता बोधराम कंवर, दारासिंह मरकाम के साथ कई अन्य नेताओं के नाम पर भी चर्चा हुई। इसकी रिपोर्ट अब पीसीसी को भेज दी गई है। अब आगे का निर्णय वहीं से लिया जाएगा।
भाजपा प्रवेश के ४ दिन पहले उइके कांग्रेस कार्यालय से ले गए थे वोटर सूची
इधर उइके भाजपा प्रवेश के ४ दिन पहले उइके कांग्रेस कार्यालय से पाली तानाखार से वोटरों की सूची अपने साथ ले गए थे। चूंकि वो सूची निर्वाचन विभाग ने कांंग्रेस को दी थी। ऐसे में सूची वापस लेने के लिए कांग्रेस ने उइके को मैसेज भिजवाया है।
एक परिवार से दो को टिकट नहीं, ऐसे में असमंजस में नेता
चूंकि कटघोरा से इस बार बोधराम कंवर ने अपनी जगह अपने बेटे को पर्यवेक्षक के सामने फार्म जमा करवाया गया है। अब बोधराम कंवर को पाली तानाखार से उतारे जाने से स्पष्ट है कि पुरुषोत्तम कंवर को टिकट मिलने की संभावना कम हो जाएगी। पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि एक ही जिले में एक ही परिवार के दो लोगों को चुनाव में उतारना मुश्किल है।
Published on:
18 Oct 2018 10:44 am
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