कोरबा. मेरिट सूची में नाम आने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्र प्रवेश लेने कॉलेज नहीं आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ कई ऐसे छात्र हैं जो नंबर कम होने की वजह से मेरिट में नहीं आ सके लेकिन प्रवेश के लिए वह कॉलेज के चक्कर काट रहे हैं। गंभीर बात यह है कि इन विद्यार्थियों को तकनीकी पेंच फंसा कर एडमिशन नहीं दे रहे हैं जबकि कॉलेज की सीटें अब भी रिक्त हैं।
ऑनलाइन प्रवेश से छात्रों को सुविधा देने की योजना थी लेकिन अब व्यवस्था और भी उलझ गई है। काफी हद तक इसके लिए कॉलेज प्रबंधन जिम्मेदार हैं।
ऐसा पहली बार हो रहा है जब सीटें रिक्त होने के बाद भी एडमिशन चाहते वाले छात्रों को कॉलेज प्रबंधन प्रवेश नहीं दे रहे हैं। पीजी कॉलेज में 700 सीटों के लिए 2400 अवेदन ऑनलाइन भरे गए।
लेकिन इसमें से महज 500 ने अब तक प्रवेश लेकर अपनी सीट पक्की की है। कॉलेज मे सीटें रिक्त हैं और छात्र भी प्रवेश लेने के लिए पहुंच रहे हैं लेकिन बावजूद इसके इन्हें एडमिशन नहीं मिल पा रहा है।
इसकी वजह यह है मेरिट सूची में शामिल छात्रों का कालेज प्रबंधन इंतजार कर रहा है जबकि मेरिट सूची में आए छात्रों को दस्तावेज जमा करने के लिए और समय दे रहा है।
यह समय सीमा कालेज प्रबंधन ने अपनी सुविधा से तय कर दी है जबकि सीटें रिक्त होने की स्थिति में कॉलेज प्रबंधन चाहे तो फ्रेश आवेदन पत्र मेरिट सूची जारी कर सकता है ताकि प्रवेश के लिए भटक रहे विद्यार्थियों को प्रवेश मिल सके। विश्वविद्यालय की भी मंशा है कि सर्वप्रथम हर हाल में कॉलेज की सीटें भरी जाए।
लेकिन कॉलेज इसके विपरीत कार्य कर रहे हैं। जिससे पहली बार कॉलेज की दहलीज पर कदम रखने वाले छात्र मायूस हो रहे हैं। कक्षाएं भी एक जुलाई से शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में पढाई का भी नुकसान हो रहा है।
एडमिशन की स्थिति भी नहीं हो रही अपडेट- ऑनलाइन फॉर्म भरने वाली व्यवस्था शुरू होते ही कॉलेज प्राचार्यों सेे कहा गया था कि हर हाल में एडमिशन की स्थिति सेतु के पोर्टल में हर दिन ऑनलाइन अपडेट होनी चाहिए। लेकिन कॉलेज प्राचार्य इस मामले मे भी बेहद उदासीन हैं। कितनी सीटें भरी व कितनी रिक्त हैं। इसकी जानकारी कॉलेज प्रबंधन पोर्टल में अपडेट करना जरूरी नहीं समझते।
पीजी की 40 तो केएन की तकरीबन 50 फीसदी सीटें खाली- जिले के दो सबसे बड़े कॉलेज जहां एडमिशन के मारामारी रहती है। वहां इस वर्ष बडी संख्या में सीटें रिक्त हैं। पीजी कॉलेज में कुल 700 में से 500 सीटें भरी हैं तो वहीं केएन कॉलेज की बीए, बीएससी व बीकॉम की 740 सीटो में से केवल 379 सीटें ही भरी हैं। अन्य कॉलेजों की स्थिति और भी खराब है। अधिकांश कॉलेजों की सीटें बड़े पैमाने पर अब भी रिक्त हैं।
एडमिशन के लिए 15 दिन और- कॉलेजो में एडमिशन की प्रक्रिया एक जून से चल रही है। नियमानुसार प्राचार्य की अनुमति से 31 जुलाई तक ही कॉलेज में प्रवेश दिया जा सकता है। इसके पश्चात एक से 14 अगस्त तक कुलपति की अनुमति से प्रवेश दिया जाता है। इस लिहाज से आसान प्रक्रिया के तहत अब केवल 15 दिन का समय ही प्रवेश के लिए बचा है।
कॉलेज चलाते हें अपना नियम, समन्वय भी नहीं- बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जीडी शर्मा की मानें तो यदि सीटें रिक्त हैं तो हर दो दिन में मेरिट सूची निकाली जा सकती है।
क्योंकि अब समय कम है। जो बच्चे सूची में नाम होने के बाद कॉलेज आकर एडमिशन नहीं ले रहे। उन्हें छोड़कर बाकी बच्चों को मौका देना चहिए। प्रवेश के लिए यदि बच्चे कॉलेज आ रहे हैं तो उन्हें उचित जानकारी दी जानी चाहिए।
कॉलेज चाहें तो मार्गदर्शन ले सकते हैं। लेकिन इसके विपरीत कोई भी कॉलेज विश्वविद्यालय से मार्गदर्शन लेना तो दूर नियमों को अपने अनुसार तोड़ मरोड़कर इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस संबंध में ऑनलाईन पोर्टल सेतु के पदाधिकारी कहते हैं कि जिनके नाम मेरिट सूची में नहीं हैं। उन्हें 30 जुलाई के बाद आने को कहा जाए, क्योंकि 30 जुलाई के बाद कॉलेज मेें मेरिट सूची से प्रवेश लेने की समय सीमा समाप्त हो चुकी होगी। फ्रेश आवेदन भरवाकर तत्काल प्रवेश भी दिया जा सकता है। कॉलेज इसके लिए स्वतंत्र हैं।
पहले आओ-पहले पाओ- 1 से 14 अगस्त तक कुलपति की अनुमति से पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर प्रवेश दिया जााएगा। जबकि कॉलेज यहां अपना नियम लागू कर रहे हैं। अपने सुविधा के लिए वह बच्चों का नुकसान कर रहे हैं। पीजी कॉलेज प्रबंधन का रवैया तो कुछ ऐसा है कि वे मेरिट सूची के छात्रों के लिए इंतजार ही करेंगे, उन्हें समय देते रहेंगे।