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मोबाइल चोर गिरोह का खुलासा : बना ली थी कंपनी, 10 और 20 हजार के वेतन में रखे जाते थे कर्मचारी

-रहना और खाना भी उपलब्ध करवाता था गिरोह - दो नाबालिग समेत 5 पकड़ाए, - झारखंड का गिरोह, 34 मोबाइल और दो एटीएम भी पुलिस ने किया बरामद

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मोबाइल चोर गिरोह का खुलासा : बना ली थी कंपनी, 10 और 20 हजार के वेतन में रखे जाते थे कर्मचारी

मोबाइल चोर गिरोह का खुलासा : बना ली थी कंपनी, 10 और 20 हजार के वेतन में रखे जाते थे कर्मचारी

कोरबा. मोबाइल चोरी कर भाग रहे एक ऐसे गिरोह को पुलिस ने पकड़ा है जो १० से २० हजार तक के वेतन मेेंं अपने यहां कर्मचारी रखे थे जिनका काम मोबाइल की चोरी करना था। दो नाबालिग समेत पांच आरोपियों को पुलिस ने ३४ मोबाइल और दो एटीएम के साथ पकड़ा है। गिरोह झारखंड के साहेबगंज का है।

सिटी सीएसपी मयंक तिवारी ने बताया कि लंबे समय से शहर के साप्ताहिक बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाकों में मोबाइल चोरी की वारदात बढ़ रही थी। पुलिस को सोमवार की रात सूचना मिली की कोरबा से अंबिकापुर होते हुए झारखंड भागने के फिराक में कुछ लोग बस स्टैंड के आसपास घूम रहे हैं। पुलिस आरोपियों को पकड़ कर थाने लेकर पहुंची। बैग की तलाश लेने पर तीनों आरोपी से कुल ३४ मोबाइल और दो एटीएम पकड़े गए।

आरोपियों में बंकी मंडल २२ वर्ष निवासी बाजारपारा साहेबगंज, प्रेम कुमार २० वर्ष नयाटोला साहेबगंज, अमित कुमार करमाकर १८ वर्ष महाराजपुर साहेब गंज सहित दो नाबालिग को पकड़ा है। ये पूरा गिरोह महाराजपुर से चलाया जा रहा था। गिरोह हावड़ा होते हुए ट्रेन से अकलतरा, जांजगीर, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर, उरगा कोरबा शहर के बाजार में वारदात को अंजाम देते थे। पुलिस की पूछताछ में गिरोह ने बताया कि बच्चों को १० हजार और बड़ों को २० हजार प्रतिमाह वेतन तक दिया जाता था। जितने भी महीने वे काम करते थे। उसका रहना खाना गिरोह की तरफ से होता था। मोबाइल चोरी कर जब भी वे वापस झारखंड जाते थे। वहां महीने के हिसाब से वेतन दे दिया जाता था।
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ये था इनके चोरी का तरीका
सीएसपी ने बताया कि पकड़ाने की डर से ये गिरोह सबसे पहले तो शहर के किसी भी बस्ती मेंं किराए का मकान लेकर रहते थे। बस्ती के ही घुमंतू बच्चों को इसके लिए तैयार करते थे। सब्जी बाजार या फिर मुख्य मार्केट में थैले लेकर बच्चों को छोड़ दिया जाता था। जेब से मोबाइल निकालने के बाद इसे थैले में डालकर गिरोह तक बच्चे पहुंचाते थे। एक बाजार में चोरी करने के बाद दूसरे बाजार मेें वारदात को अंजाम देते थे।

महंगे फोन को ही बनाते थे निशाना
गिरोह महंगे फोन को निशाना बनाते थे। जितने भी फोन पकड़े गए उसमें एक भी छोटे फोन नहीं थे। जेब में रखे फोन को देखकर अंदाजा लगाकर ही पार करते थे। इससे पहले भी एक गिरोह पकड़ाया था। पुलिस अब गिरोह के सरगना तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।