
New Education Policy 2024: सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की नींव डगमगाने लगी है। कोरबा जिले में शिक्षकों के 1900 से ज्यादा पद खाली हैं। अगल माह से नया शिक्षा सत्र शुरू होने वाला है। लेकिन खाली पदों पर भर्ती कैसे होगी? यह अभी स्पष्ट नहीं है।पिछला शिक्षा सत्र शिक्षकों की कमी के बीच पूरा हुआ।
अब अगले माह 16 जून से नया शिक्षा सत्र चालू हो रहा है। लेकिन शासन-प्रशासन विद्यालयों में रिक्त पडे़ पदों में भर्ती को लेकर कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है। प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 1900 से ज्यादा पद खाली पडे़ हुए हैं। विषय विशेषज्ञों के बिना ही शिक्षा सत्र गुजरने वाली है। इसका विपरित प्रभाव जिले के शिक्षा के स्तर पर पड़ने की आशंका है।
कोरबा जिले की सरकारी स्कूल में शिक्षा व्यवस्था पूरी चरमराई हुई है। शिक्षकों के अभाव में विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई अच्छे से नहीं हो पा रही है। जिले में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और उच्चतर विद्यालयों की संख्या 2156 है। इसमें से अधिकांश स्कूल ऐसे हैं, जो शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। इसका असर विद्यार्थियोें की शिक्षा पर पड़ रहा है। सबसे बुरा हाल प्राथमिक कक्षाओं का है।
प्राथमिक कक्षाएं विद्यार्थियों की नींव मानी जाती है और यहां ही शिक्षकों कमी है। इसके अलावा माध्यमिक, उच्च और उच्चतर विद्यालयों में भी विषय विशेषज्ञों के कई पद खाली पडे़ हुए हैं। यह खुलासा जिला शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश सरकार को उपलब्ध कराई गई जानकारी में हुआ है। आंकडे़ देखें तो कोरबा जिले में सहायक शिक्षक के 1282, शिक्षक के 571 और व्याख्याता के 16 पद रिक्त हैं। इसका सीधा असर विद्यार्थियों की शिक्षा पर पड़ रहा है। इन शिक्षकों के बिना ही शिक्षा सत्र 2023-24 का भी सत्र गुजर गई। इसे लेकर अभिभावक चिंतित हैं। हालांकि कुछ दिनों पहले जिला प्रशासन ने जिला शिक्षा विभाग को रिक्त शिक्षकों के स्थान पर अतिथि शिक्षकों की पदस्थापना के निर्देश दिए हैं।
पद रिक्त
व्याख्याता 16
शिक्षक 571
सहायक शिक्षक 1282
इधर कई शिक्षक ऐसे हैं जिनकी शहरी, उप नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में पदस्थापना हैं, लेकिन कई शिक्षक स्कलों में विद्यार्थियों को पढ़ाने को लेकर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने अपनी पदस्थापना जिला मुख्यालय के अलग-अलग शासकीय दफ्तरों में करा लिया है। इसका असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
जिले में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इसका असर विद्यार्थियों के शिक्षा पड़ रहा है। इस कारण अभिभावक अपने बच्चों की भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अभिभावकों की रुचि बच्चों को सरकारी स्कूल की बजाए निजी स्कूलों में भर्ती कराने पर अधिक है। हालांकि सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश को लेकर अभिभावकों में उत्साह है।
Updated on:
19 May 2024 08:07 am
Published on:
18 May 2024 06:31 pm
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