
आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर
कोरबा. अपराधियों की धर पकड़ हुई देरी चुनाव में पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई है। अलग-अलग घटना लिप्त चाढ़े चार हजार से अधिक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। पुलिस गिरफ्तारी वारंट लेकर आरोपियों को ढूंढ रही है। अपराधी नजर नहीं आ रहे हैं।
विभिन्न अदालतों ने चार हजार 500 से अधिक अपराधियों के खिलाफ स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। वारंटी जहां भी दिखेंगे पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। पुलिस स्थाई वारंट लेकर आरोपियों को तलाश रही है। लेकिन आरोपी पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहे है। वारंट लेकर पुलिस जब बेल बांड के पते पर पहुंचती है,
पता चला है कि उन्होंने अपना स्थान बदल दिया है। वहां वर्तमान में कोई और रह रहा है। बेल बांड के पते पर आरोपी के नहीं मिलने से पुलिस परेशान है। विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी पुलिस ने वारंटियों को पकडऩे के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन थानों में लंबित वारंट की संख्या कम नहीं हो रही है। पुलिस के वरिष्ट अधिकारी भी लंबित वांरट को लेकर हैरान हैं।
अधिकतर दीगर प्रांत के
फरार वारंटियों में अधिकतर दूसरे प्रांत के निवासी हैं। इनकी तलाश में पुलिस कई बार स्थाई पते पर गई। लेकिन अधिकतर अपराधी नहीं मिले। स्थानीय पुलिस का कहना है कि दूसरे राज्यों में वारंटियों को पकडऩे के लिए स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिलता है।
आधार नंबर पर पुलिस का जोर
बेलबांड के पते पर वारंटियों के नहीं मिलने से पुलिस परेशान है। कोई अपराधी पुलिस को चक्कामा न दे सके इसके लिए पुलिस ने नया रास्ता निकाला है। केस फाइल के दौरान आधार नंबर लिया जा रहा है। कोर्ट में चालान पेश करने के पहले आधार नंबर पर पुलिस जोर देती है।
क्या है कारण
वारंटियों की संख्या बढऩे के पीछे कई कारण हैं। इसमें सबसे प्रमुख है, वारदात के बाद शहर छोड़कर भाग जाना। ऊर्जानगरी में अलग अलग क्षेत्रों से लोग रोजी रोटी की तलाश आते हैं। कुछ अपराध कर बैठते हैं। घटना के समय जो पता थाने में लिखाते हैं। कई बार पुलिस उसकी तहकीकात नहीं करती। पता झूठा निकलता है। समयाभाव के कारण पुलिस के लिए पते का सत्यापन करना कठीन होता है। इसका फायदा अपराधी उठाते हैं। बेल मिलते ही ठिकाना बदल देते हैं।
Published on:
26 Sept 2018 11:18 am
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