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कोरबा

बताना ही पड़ेगा चाय की दुकान चलाते हैं या इंडस्ट्री के हैं मालिक, आर्थिक जनगणना के लिए सर्वेयरों को दी जा रही ट्रेनिंग

अगर आपके घर में सर्वेयर यह पूछने आए कि आप क्या करते हैं ? चाय-नाश्ते की दुकान है, ऑटो चलाते है या किसी इंडस्ट्री के मालिक हैं? कितना टर्नओवर है? किस संस्था में रजिस्ट्रेशन है या ऐसे ही काम कर रहे है? इस प्रकार के सवालोंं के जवाब आर्थिक जनगणना (Economic Census) में देनी होगी।

कोरबाJul 07, 2019 / 01:43 pm

Vasudev Yadav

बताना ही पड़ेगा चाय की दुकान चलाते हैं या इंडस्ट्री के हैं मालिक, आर्थिक जनगणना के लिए सर्वेयरों को दी जा रही ट्रेनिंग

बताना ही पड़ेगा चाय की दुकान चलाते हैं या इंडस्ट्री के हैं मालिक, आर्थिक जनगणना के लिए सर्वेयरों को दी जा रही ट्रेनिंग

कोरबा. जुलाई के अंतिम सप्ताह में जिले भर में आर्थिक जनगणना (Economic Census) शुरू होगी। इसके लिए जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग व सीएससी द्वारा संयुक्त तौर पर तैयारी की जा रही है। सर्वेयरों को ट्रेनिंग दी जा रही है। सम्भवत: 15 दिन बाद सर्वे शुरू कर दिया जाएगा। कोरबा शहरी क्षेत्र के 67 वार्ड और अन्य चारों निकाय के 65 वार्डों में भी सर्वे किया जाएगा। इसके आलावा जिले के 390 ग्राम पंचायतों में सर्वेयर टीम पहुंचेगी। जहां आर्थिक जनगणना होगी।
हर पांच साल में केन्द्र सरकार द्वारा यह सर्वे की जाती है। इसी सर्वे के आधार पर सरकार विकास दर तय करती है। नई योजनाओं के साथ पुराने योजनाओं को नया रूप देती है। सातवीं आर्थिक जनगणना (Economic Census) में कौन सा व्यक्ति कौन सा काम कर रहा है। इसके बाद आर्थिक उपार्जन के साधन कौन से हैं या फिर कोई व्यवयाय कर रहा है। कितने लोगों को रोजगार मिला है कितने बेरोजगार हंै। सांख्यिकी मंत्रालय ने ई गर्वनेस से जुड़ी कंपनी सीएससी को जमीनी सर्वेक्षण का जिम्मा दिया है। इस जनगणना को तीन माह में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
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जिले भर में है लाखों मकान, हर घर में पहुंचेंगे सर्वेयर
जिले भर में लाखों मकान हैं। सीएससी द्वारा पिछले तीन माह से इसकी तैयारी शुरू कर दी गई थी। शहर और ग्रामीण क्षेत्र से मकानों की सूची विभाग ने पहले ही तैयार कर ली है। हर वार्डवार और ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतवार मकानों की संख्या विभाग के पास पहुंच चुकी है। इन्हीं मकानों में विभाग द्वारा सर्वे कराया जाएगा।

इस बार सर्वे होगी पेपरलेस, मोबाइल में करेंगे डाटा फीड
इस बार सर्वे पूरी तरह से पेपरलेस होगा। सर्वेयर अपने मोबाइल में डाटा फीड करेंगे। एक मकान में ज्यादा से ज्यादा दो से तीन मिनट ही लगेंगे। इसके पहले कागजों में सर्वे कर उसे ऑनलाइन किया जाता था। विभाग द्वारा लगातार सर्वे किया जा रहा है।

हर व्यक्ति होगा शामिल
आर्थिक जनगणना (Economic Census) में हर घर को शामिल किया जाएगा। इसमें नौकरी पेशा से लेकर छोटा कारीगर, व्यापारी, पार्लर संचालक, ठेेकेदार, उद्योगपति, रिक्शा चालक, जेल के बंदी और सजायाफ्ता, कोचिंग संचालक, निजी शिक्षक, कार्पोरेट हाउस, दवा विके्रता सहित अन्य।

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समय-समय पर होती है आर्थिक गणना
केंद्र सरकार पांच साल के अंतराल पर आर्थिक जनगणना करती है। इसके जरिए यह जानने का प्रयास करती है कि एक क्षेत्र विशेष के लोगों की आर्थिक स्थिति कैसी है और उनकी कमाई का जरिया क्या है। इसके लिए सरकार द्वारा गठित की गई टीमें घरों में पहुंचकर लोगों से पूछताछ करती है। परिवार के सदस्य की संख्या और उनकी आमदनी का आंकड़ा एकत्र करती है। विभिन्न चीजों पर की जाने वाली खर्च का ब्यौरा भी निकालती है। इसके आधार पर टीम निष्कर्ष निकालती है कि लोगों की आर्थिक स्थिति कैसी है।

यह जानकारियां देनी होगी
नाम, पता, मोबाइल नंबर, मकान मालिक, परिवार के सदस्य, क्या काम करते हैं, पेशेवर है या उद्यमी, उनकी वार्षिक आमदनी या कारोबार कितना है। कितने लोग उनकी कंपनी में काम करते हैं। कंपनी किस अधिनियम के तहत दर्ज है। जिला प्रशासन ने भी लोगों से आर्थिक सर्वेक्षण में सहयोग के लिए कहा है।

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हर तीन से चार सौ मकानों के बीच बनाया जा रहा ब्लॉक
हर तीन से चार सौ मकानों के बीच एक ब्लॉक बनाया जा रहा है। हालांकि बताया जा रहा है इसकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। एक सर्वेयर को एक ब्लॉक दिया जाएगा। विभाग द्वारा कोशिश की जा रही है कि जिस गांव में सर्वे कराना है उसी गांव से सर्वेयर हो, ताकि सर्वे करने में आसानी हो और समय पर सर्वे हो सके।

आर्थिक जनगणना (Economic Census) के लिए सर्वेयरों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इस महीन के आखिरी तक सर्वे शुरू हो जाएगा। लोगों के जीवकोपर्जन के स्त्रोत से लेकर कई जानकारी एकत्र की जाएगी-अविनाश कुुमार, जिला प्रभारी, सीएससी

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