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कोरबा

हाथियों के लिए हाइवे में पहली बार बने दो अंडरपास, दो साल में एक बंदर भी नहीं गुजरा

केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा मार्गों के बीच में ऐसी जगह जो वन्य प्राणी खासकर हाथियों का रूट है, वहां अंडरपास बनाने की योजना है। प्रदेश में पहली बार अंडरपास कटघोरा से अंबिकापुर के बीच दो जगह बनाए गए थे।

कोरबाJul 09, 2021 / 07:33 pm

Karunakant Chaubey

हाथियों के लिए हाइवे में पहली बार बने दो अंडरपास, दो साल में एक बंदर भी नहीं गुजरा

हाथियों के लिए हाइवे में पहली बार बने दो अंडरपास, दो साल में एक बंदर भी नहीं गुजरा

आकाश श्रीवास्तव@कोरबा. सड़कों से गुजरने वाले वन्य प्राणियों को हादसों से बचाने निर्माणाधीन और प्रस्तावित सभी नेशनल हाइवे में अंडर पास बनाए जा रहे हैं। कटघोरा से अंबिकापुर के बीच दो जगह अंडर पास बने करीब दो साल गुजर गए हैं, लेेकिन आज तक इस अंडर पास के ऊपर से एक भी वन्य प्राणी नहीं गुजरा। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह अत्याधिक चढ़ाई होना और एप्रोच रोड संकरा होना है। खासतौर पर हाथियों की आमदरफ्त को देखते हुए इसे बनाया गया था।

केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा मार्गों के बीच में ऐसी जगह जो वन्य प्राणी खासकर हाथियों का रूट है, वहां अंडरपास बनाने की योजना है। प्रदेश में पहली बार अंडरपास कटघोरा से अंबिकापुर के बीच दो जगह बनाए गए थे। पहला एतमानगर और दूसरा केंदई वन परिक्षेत्र के क्षेत्र में आता है। वन्य प्राणी हाथी, चीतल या फिर भालू सड़क किनारे या फिर सड़क से गुजरते हैं तो उस कम्पार्टमेंट के इसका रिकार्ड रखा जाता है।

इस रिकार्ड के अनुसार बीते एक साल में हाथियों ने 40 से 50 बार एनएच पार किया है। कई बार तो अंडरपास के बाजू से होकर भी गुजरे, लेकिन कभी भी अंडरपास से होकर हाथी एक तरफ से दूसरी तरफ नहीं गए। वन विभाग का कहना है कि जो अंडरपास बने हैं वे जमीन से करीब 20 फीट ऊंचे हैं।

अंडरपास से जंगल के बीच मिट्टी का एप्रोच भी संकरा हो चुका है। बारिश में फिसलन हो जाती है। वन अधिकारियों का कहना है कि हाथी 15 से 20 के झुंड में होते हैं। हाथी समतल क्षेत्र से आसानी से गुजर जाते हैं। यही वजह है कि अंडरपास का उपयोग नहीं हो रहा है।

8 साल पहले के सर्वे के हिसाब से जगह तय, अब हाथियों ने बनाया नया रास्ता

जिन अंडरपास का निर्माण कराया गया है उसके लिए आठ साल पहले सर्वे कराया गया था। वन विभाग के बताने पर ही अंडरपास उन जगहों पर बनाए गए थे। इतने साल में हाथियों का अब रूट भी बदल गया है।

छोटे जानवरों की सड़क हादसे में लगातार हो रही मौत

इधर छोटे जानवरों की सड़क हादसे में मौतों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। सड़क पार करते समय तेज रफ्तार वाहनों के चपेट में वे आ रहे हैं। फोरलेन बनने के बाद इसमें इजाफा भी हुआ है। एतमानगर व केन्दई वनपरिक्षेत्र में चीतल, भालू सड़क दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं।

इधर रेलवे कॉरीडोर के लिए बन रहे पांच आरओबी

कोरबा से धरमजयगढ़ के बीच रेलवे कॉरीडोर के बीच पांच आरओबी लगभग पूरे होने के कगार पर है। धरमजयगढ़ में तीन, रायगढ़ में दो आरओबी बनाए गए हैं। सड़क और रेलवे द्वारा हाथियों के रूट को देखते हुए ये निर्माण किए जा रहे हैं। सड़क से करीब 20 फीट ऊंचाई पर अंडरपास बने हैं, जबकि आरओबी को जमीनी सतह पर बनाया गया है, जिससे वन्य प्राणियों को चढ़ान ना चढऩा पड़े।

अधिक चढ़ान की वजह से वन्यप्राणी अंडरपास में नहीं चढ़ पाते हैं, दूसरी वजह है कि एक समय अंतराल के बाद हाथी अपना रूट बदल लेते हैं। हमारी कोशिश रहती है कि सड़कों के आसपास हाथी ना पहुंचे। जंगलों की ओर रखने का प्रयास किया जाता है।
– एके चौबे, रेंजर, केंदई वन परिक्षेत्र

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