जितने भी उत्पाती हाथी सभी को एक के बाद एक किया जाएगा ट्रैंक्यूलाइज
हाथियों के उत्पात वाले रेंज कुदमुरा, करतला, कोरबा, छाल, रायगढ़ समेत अन्य जगहों पर हाथियों की पूरी डिटेल निकलवा कर रखी गई है। इस सूची में सबसे ऊपर नाम गणेश हाथी का है। जबकि इसके बाद झुंड से अलग होकर उत्पात मचाने वाले हाथियों को भी रखा गया है। वन विभाग की अब कोशिश है कि इन पांच से छह हाथियों को भी जल्द से जल्द ट्रैंक्यूलाइज किया जाए। ताकि सभी उत्पाती हाथियों की जानकारी ऑनलाइन मिल सके। इससे घटनाओं मेंं कमी आएगी।
गणेश अब भी छाल और रायगढ़ के बीच
गणेश हाथी को फिर से ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए टीम जाएगी। गणेश अब भी छाल और रायगढ़ रेंज के बीच है। लगातार मूवमेंट बदलने की वजह से गणेश को ट्रैंक्यूलाइज नहीं किया जा सका है। विभाग के अधिकारी गणेश को सबसे पहले कॉलर आइडी पहनाने के लिए प्रयास करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी बीच दूसरे हाथी को कॉलर आइडी पहनाया गया।
देहारदून के भरोसे नहीं अब छत्तीसगढ़, बड़ी सफलता मिली
अब तक कुल १२ हाथियों को कॉलरआइडी लगाने के लिए अनुमति शासन से पूर्व मेें मिली थी। इनमें से सात हाथियों को कॉलरआइडी लगाया गया था। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून व वाइल्ड लाइफ से प्रदेश सहयोग लेकर अब तक ऑपरेशन करते आया है। पहली बार टीम अपने स्तर पर यह ऑपरेशन की और सफल भी हुई। जब तक टीम वहां से आती है तब तक हाथियों का मूवमेंट और भी बदल जाता था।
टीम में इन अधिकारियों ने निभाई अहम जिम्मेदारी
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा, डॉ. जसगीत सिंह, डॉ. सामेश जोशी, डॉ.देवकांत हनुमंत के साथ-साथ वन अधिकारियों में बीएस सरोठे, एसडीओ आशीष खेलवार, कुदमुरा रेंजर विष्णु प्रसाद मरावी, छाल रेंजर राजेश चौहान की महत्वपूर्ण भूमिका रही। दोनों ही डीएफओ पल-पल की खबर लेते रहे।