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गौरतलब है कि लहसुन क दाम न्यूनतम स्तर पर पहुंचने पर पत्रिका ने अभियान चलाकर किसानों की पीड़ा को उजागर किया था। इसके बाद सांसद ओम बिरला ने केन्द्र और राज्य सरकार के समक्ष लहसुन की बाजार हस्तक्षेप योजना में खरीद का मसला रखा था। संसद में भी यह मामला उठाया था। इसके बाद केन्द्र ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर प्रदेश में लहसुन खरीद के आदेश जारी किए थे।
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गौरतलब है कि हाड़ौती की मंडियों में नए लहसुन की आवक शुरू होते ही दामों में भारी गिरावट आ गई है। मौजूदा दामों में लागत निकलना तक मुश्किल हो गया है। इससे किसान परेशान हैं। किसानों ने लहसुन का भण्डारण शुरू कर दिया था।
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गर्मी बढऩे से लहसुन के खराब होने की आशंका भी है। हाड़ौती में इस साल एक लाख हैक्टेयर से अधिक रकबे में लहसुन की बुवाई हुई। मंडियों में नए लहसुन का औसत भाव 8 से 12 रुपए प्रति किलो है, जबकि लागत ज्यादा आती है। इस कारण किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। दाम गिरने से मंडियों में आवक भी कम हो रही है।
गर्मी बढऩे से लहसुन के खराब होने की आशंका भी है। हाड़ौती में इस साल एक लाख हैक्टेयर से अधिक रकबे में लहसुन की बुवाई हुई। मंडियों में नए लहसुन का औसत भाव 8 से 12 रुपए प्रति किलो है, जबकि लागत ज्यादा आती है। इस कारण किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। दाम गिरने से मंडियों में आवक भी कम हो रही है।