scriptWorld Heritage-Day: 900 साल से चम्बल के बीहड़ों में तनकर खड़ा है वैष्णव मठ, दरिया भी नहीं मिटा सका वजूद | 900-year-old Vaishnava temple is in rugged of chambal | Patrika News

World Heritage-Day: 900 साल से चम्बल के बीहड़ों में तनकर खड़ा है वैष्णव मठ, दरिया भी नहीं मिटा सका वजूद

locationकोटाPublished: Apr 18, 2019 07:15:36 pm

Submitted by:

Rajesh Tripathi

दरिया दुश्मन बना तो सैलाब ठोकरें मारने लगे… शिखर ने कई मर्तबा साथ छोड़ा, लेकिन नींव तनकर खड़ी रही…करीब 900 साल से यह सिलसिला बादस्तूर जारी है।

Vaishnava temple
विनीत सिंह. कोटा.

दरिया दुश्मन बना तो सैलाब ठोकरें मारने लगे… शिखर ने कई मर्तबा साथ छोड़ा, लेकिन नींव तनकर खड़ी रही…करीब 900 साल से यह सिलसिला बादस्तूर जारी है…बावजूद इसके गामछ वैष्णव मठ का वजूद कोई नहीं मिटा सका… ये बात और कि अब पहचान के नाम पर दर्जन भर मूर्तियों के टुकड़े और खंडहर के निशान ही बाकी बचे हैं।
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बूंदी की ओर बढ़ता नार्दन बाईपास चंबल को पार करते ही ठिठक जाता है। सदियों का सफर तय कर चुकी चम्बल के थपेड़ों ने जमीन को बीहड़ बना दिया। बावजूद इसके मिट्टी के टीलों पर खड़ा गामछ वैष्णव मठ घोर सन्नाटे चीरने पर अमादा नजर आता है।
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पक्की सड़क से निकला कच्चा रास्ता करीब एक किमी की दूरी तय करने के बाद खादर के बीचों-बीच खड़े इस ऐतिहासिक टीले तक ले जाता है जहां भारी भरकम पत्थरों के करीब पांच फीट ऊंचे चबूतरे पर मुख्य मंदिर स्थापित है। 7 सीढिय़ां मंदिर के अहाते तक पहुंचा देती हैं, जहां छोटे से सभामंडप के सामने मंदिर का गर्भगृह खड़ा है।
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चार बार टूटा
इतिहासकार प्रो. जगत नारायण बताते हैं कि चबूतरे और उस पर स्थापित गर्भगृह के आधार स्तंभों के बीच सदियों का फासला नजर आता है। आधार स्तम्भ के बाद खड़े करीब चार फीट के पत्थर तीसरे दौर की कहानी कहते हैं, उनके ऊपर करीब 5 फीट का हिस्सा और भी नयापन लिए है। मंदिर का 25 फीट ऊंचा शिखर 200 से 300 साल पुराना लगता है। इन बदलावों से पता चलता है कि यह मंदिर कम से कम चार बार टूटा और जो खंडहर बचे रह गए उनके ऊपर फिर नया निर्माण कराया गया।
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जमींदोज हुईं प्रतिमाएं
सभामंडप के किनारे मिट्टी के टीले में दो आदमकद विष्णु प्रतिमाएं आधी से ज्यादा दबी हुई हैं। प्रो. श्रीवास्तव इन्हें दस से बारहवीं सदी के बीच की बताते हैं। हैरिटेज प्रमोटर एएच जैदी बताते हैं कि मंदिर से करीब एक किमी दूर बसे गामछ गांव में भी इसी मंदिर से ले जाकर रखी गई विष्णु, हनुमान, देवी और योगनियों की प्रतिमाएं खुले में पड़ी हैं।
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बाकी हैं निशां
मुख्य मंदिर के पीछे एक टीले पर गढ़ी नुमा खंडहर बने हैं जो इसके वैष्णव मठ होने और कई पुजारियों के यहां रहने की गवाही देते हैं। गर्भगृह में सिर्फ एक प्रतिमा रखी जा सकती है, लेकिन भगवान विष्णु की तीन खंडित प्रतिमाएं मंदिर के बारंबार टूट कर फिर से बनने की गवाही देती हैं।
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