
सामुदायिक भवन
कोटा . नगर निगम न तो सड़कों पर अतिक्रमण पर लगाम लगा पा रहा है न खुद की सम्पतियों पर अतिक्रमण को रोक पा रहा है। हाल ये शहर में नगर निगम के अधिकार क्षेत्र के सामुदायिक भवन भी समाजकंटकों का अड्डा बन चुके हैं, जिनके बारे में निगम प्रशासन बेखबर है। जी, बात हो रही कोटड़ी स्थित कश्यप सामुदायिक भवन और पाटनपोल राधा विलास स्थित एक अन्य सामुदायिक भवन की। कोटड़ी भोई मोहल्ला स्थित सामुदायिक भवन को बने 13 साल हो गए, लेकिन आज दिन तक नगर निगम ने इसका एक रुपया भी किराया वसूल नहीं किया है। जबकी यहां सैकड़ों शादी, धार्मिक आयोजन व अन्य आयोजन हो चुके हैं।
समाजकंटकों की पनाहगाह
इन सामुदायिक भवन में दिनभर समाजकंटक जमे रहते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यहां दिनभर शराबियों का जमावडा रहता है। यहां जुआ, सट्टा व और अवैध गतिविधियां आम बात है। पशुपालक यहां मवेशी बांधते हैं। आबादी के बीच अवैध गतिविधियां रहवासियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं।
लोगों से होती है अवैध वसूली
राजस्थान नगरीय आधारभूत विकास परियोजना के अंतर्गत 26 सितम्बर 2004 को कोटड़ी गोरधनपुरा सामुदायिक भवन का लोकार्पण किया गया था। सामुदायिक भवन का संचालन नगर निगम को करना था, लेकिन निगम ने कभी इसकी सुध नहीं ली। समाजकंटक ही इस सामुदायिक भवन का किराया वसूल रहे हैं। इन 13 सालों में निगम को लाखों रुपए के राजस्व की हानि हो चुकी है।
और भी कई बंद पड़े
निगम के पास 20 सामुदायिक भवन हैं, जिसमें विकास भवन श्रीपुरा, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, इन्द्रगांधी नगर, महाराजा सूरजमल महावीर नगर, बापू कॉलोनी के सामुदायिक भवन बंद पड़े हैं। राजस्व समिति के अध्यक्ष महेश गौतम ने कहा कि निगम के सामुदायिक भवनों को समाजकंटकों से मुक्त कराया जाएगा और उन्हें राजस्व समिति के रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा। पूर्व में भी निगम ने चार भवनों को मुक्त कराया है।
अध्यक्ष महेश गौतम
Published on:
25 Nov 2017 02:44 pm
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