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पौधों काे मिल रही खाद डागा बताते हैं कि रेस्टोरेंट में प्रतिदिन 15 से 20 किलो वेस्ट खाना और कचरा एकत्र होता था। उसे व्यर्थ ही कचरे में डालते थे। उन्होंने चेन्नई से एक लाख रुपए की लागत से एक बॉयो गैस प्लांट खरीदा और रेस्टोरेंट की छत पर लगवा दिया। इसमें वह रेस्टोरेंट में बचे वेस्ट खाने को डाल देते हैं। इसके बाद उसमें किण्वन क्रिया से करीब एक से डेढ़ किलो गैस बन जाती है। इसे वे अपने रेस्टोरेंट में काम लेते हैं। मेहुल ने बताया कि शुरू में इस प्रकिया में तीन से चार दिन लग गए, लेकिन इसके बाद से प्रतिदिन गैस मिलने लग गई। कचरे गैस ही नहीं, पेड़ पौधों के वास्ते अच्छी खाद भी मिल रही है। प्लांट में किण्वन क्रिया होने के बाद जो निकलता है, वह खाद के रूप में काम लिया जा सकता है। यह भी पढ़ें