
चित्तौड़ और राजसमंद प्रशासन ने बसों में भरकर कोटा भेज दिए 400 मजदूर
कोटा. कोरोना के कहर के बीच अब प्रशासनिक अराजकताओं का दौर भी शुरू हो गया है। चित्तौड़ और राजसमंद में फंसे उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के 400 मजदूरों को वहां के प्रशासन ने रोडवेज बसों में भरकर शनिवार देर रात कोटा भेज दिया। बिना किसी अनुमति के अचानक इतनी बसों का कोटा की ओर मूवमेंट देख जिला प्रशासन और पुलिस में हड़कंप मच गया। सभी बसों को शंभुपुरा नाके पर रुकवाया गया। जहां से कोटा के लोगों को उतारकर बाकी को राज्य की सीमाओं तक छुड़वाया गया।
शंभुपुरा नाके पर तैनात पुलिसकर्मियों को शनिवार आधी रात को अचानक कई बसें शहर की ओर आती दिखीं। रोडवेज बसें होने के कारण पहले तो पुलिसकर्मी ठिठक गए, लेकिन जब इन बसों को रुकवाकर पूछताछ की गई तो पता चला कि चित्तौड़ और राजसमंद जिलों के प्रशासन ने अपने जिलों में अटके उत्तरप्रदेश और राजस्थान के 400 से ज्यादा मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने का झांसा देकर कोटा भिजवा दिया।
रात भर हड़कंप
अचानक इतनी बड़ी संख्यों में दूसरे जिलों से लोगों को कोटा भेजे जाने की खबर लगते ही एएसपी दिलीप सिंह, डीएसपी भगवतसिंह हिंगड़ और सीआई कुन्हाड़ी गंगासहाय शर्मा को लेकर शंभुपुरा नाके पर पहुंच गए। वहां जाकर पता चला कि चित्तौड़ से भेजी गईं छह और राजसमंद से आई एक बस में किसी भी व्यक्ति के पास घर जाने की आधिकारिक इजाजत नहीं है और तो और रोडवेज बस चालक एवं परिचालक के पास भी इन सवारियों को कोटा छोडऩे के कोई आधिकारिक आदेश नहीं थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी और चिकित्सकों का जाप्ता भी मौके पर पहुंच गया।
खाना खिलाया, फिर की स्क्रीनिंग
डिप्टी एसपी भगवतसिंह हिंगड़ ने बताया कि बसों में सवार सभी लोग बुरी तरह भूख प्यास से तड़प रहे थे। जाप्ते ने सबसे पहले उन लोगों को बसों से नीचे उतारा और मौके पर पहुंचे चिकित्सकों से उनकी स्क्रीनिंग कराई। इसके बाद आधी रात में ही सभी लोगों के लिए खाना बनवा कर खिलाया। इसके बाद इन बसों में सवार कोटा के 11 लोगों को उतार कर उन्हें घर भेजने के इंतजाम किए गए।
धोखे से भेजा कोटा
बसों में सवार लोगों ने बताया कि वह उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। मजदूरी करने के लिए चित्तौड़ और राजसमंद आए हुए थे। लॉकडाउन में फंसने के कारण उन्हें शनिवार शाम को जयपुर से आईं इन बसों में भरकर अपने अपने राज्यों की सीमाओं तक पहुंचाने का आश्वासन देकर वहां से भेजा गया था, लेकिन कोटा आकर पता चला कि रोडवेज चालकों और परिचालकों को उनके अफसरों ने हमें कोटा में भी छोड़ देने के निर्देश दे रखे थे।
छह बसों से बॉर्डर तक किया रवाना
हिंगड़ ने बताया कि इन लोगों को कोटा में रखने की कोई आधिकारिक इजाजत नहीं थी और कोई व्यक्ति यहां रुकना भी नहीं चाहता था। इसीलिए रात में ही कोटा रोडवेज के मुख्य प्रबंधक कुलदीप शर्मा को बुलाया गया और उनके आला अधिकारियों से बात कराई गई। आखिर में जब उन्हें कोई रास्ता नहीं सुझा तो कोटा डिपो की छह बसें शंभुपुरा नाके पर बुलाई गईं और इन लोगों को उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश की सीमाओं तक छुड़वाया गया।
Published on:
30 Mar 2020 12:30 am
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